- महाकाल के गर्भगृह में वीआईपी इस तरह कर रहे हैं दर्शन
- प्रशासक ने कहा किसकी अनुमति से गए जांच करवा रहा हूँ-कलेक्टर बोले हमने कोई अनुमति नहीं दी
उज्जैन। उज्जैन में महाकाल मंदिर के गर्भगृह में पिछले एक साल से अधिक समय से श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगी हुई है और देशभर से आने वाले श्रद्धालु महाकालेश्वर का 100 फीट की दूरी से दर्शन कर पाते हैं लेकिन वीआईपी श्रद्धालुओं को बड़ी आसानी से गर्भगृह में प्रवेश मिल रहा है। प्रवेश पर प्रतिबंध के बाद भी गुरुवार की शाम महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे सांसद श्रीकांत शिंदे और उनकी पत्नी सहित चार वीआईपी ने महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर करीब 6 मिनिट तक पूजन किया।
वीआईपी श्रद्धालुओं की गर्भगृह में इंट्री का वीडियो फोटो वायरल होने के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर महाराष्ट्र के सीएम के बेटे-बहू और दो अन्य लोगों को गर्भगृह में इंट्री कैसे मिल गई। जो वीडियो सामने आया है उसमे शाम करीब 5.38 पर सांसद श्रीकांत शिंदे उनकी पत्नी और दो अन्य लोग गर्भगृह में प्रवेश कर रहे हंै। इस दौरान भगवान महाकाल का श्रृंगार होने के बाद भी सभी चारों श्रद्धालु शिवलिंग के पास बैठकर पूजन अर्चन करते दिख रहे हैं। चार लोगों के गर्भगृह में प्रवेश की जानकारी लगते ही महाकाल मंदिर के प्रशासक गणेश धाकड़ ने कहा कि गर्भगृह निरीक्षक सहित जो भी इस मामले में दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं कलेक्टर और महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष नीरज सिंह ने कहा कि हमने किसी को भी गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। महाकाल मंदिर में कई बार वीआईपी इंट्री को लेकर बवाल हुआ है। इसके बाद महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर प्रशासक ने नियम को अनदेखी करने वालों पर करवाई की बात की थी। गुरुवार को भी श्रीकांत शिंदे सहित चार लोग जब गर्भगृह में इंट्री कर रहे थे, तब उनके साथ सुरक्षा प्रभारी जयंत राठौर और गर्भगृह निरीक्षक भी थे, आखिर उन्होंने इनके प्रवेश पर रोक नहीं नहीं लगाई ये सबसे बड़ा सवाल है। महाकाल मंदिर के गर्भगृह में सभी श्रद्धालुओं को दर्शन पूजन के लिए लगा यह प्रतिबंध 4 जुलाई 2023 को श्रावण महीने में आने वाली भीड़ की देखते हुए 11 सितंबर 2023 तक के लिए लगाया गया था। उस दौरान मंदिर समिति ने कहा था कि सावन खत्म होते ही गर्भगृह आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। अब एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी गर्भगृह नहीं खोला गया है। महाकाल लोक बनने से पहले महाकाल मंदिर में रोजाना 20 से 30 हजार श्रद्धालु पहुंचते थे। अक्टूबर 2022 में महाकाल लोक बनने के बाद भक्तों की संख्या में चार गुनी वृद्धि हो गई। यह संख्या बढ़कर डेढ़ से दो लाख हो गई। ऐसे में इतनी बड़ी तादात में भक्तो को गर्भगृह में प्रवेश देना नामुमकिन है। इसलिए मंदिर समिति ने गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा रखी है। मंदिर के शिवलिंग क्षरण को लेकर लगी याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मंदिर समिति से क्षरण रोकने के लिए सुझाव मांगे थे। एक सुझाव यह भी था कि गर्भगृह में श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित किया जाए। इसके बाद मंदिर समिति ने दोपहर 12 से 5 बजे तक ही गर्भगृह में श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी। कई बार जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने जांच की। रिपोर्ट कलेक्टर समेत अन्य अधिकारियों और कोर्ट को सौंपी थी। इसके बाद समिति ने तय किया कि गर्भगृह आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर किया जाएगा।