• img-fluid

    विपासनाः जीते जी मोक्ष की साधना

  • January 25, 2022

    – डॉ. वेदप्रताप वैदिक

    दक्षिण वियतनाम के विश्व प्रसिद्ध संत थिक नात हान का कल निधन हो गया। वे 95 वर्ष के थे। उन्होंने दुनिया के कई देशों के लाखों लोगों को ‘मानसिक सतर्कता’ की ध्यान-पद्धति सिखाई, जैसी कि भारत के महान गुरुवर सत्यनारायण गोयंका ने विपश्यना की शुद्ध बौद्ध ध्यान पद्धति को संसार के कई देशों में फैलाया। ये दोनों गुरुजन शतायु होने के आस-पास पहुंचते हुए भी बराबर सक्रिय रहे।

    आचार्य हान प्लम नामक वियतनामी गांव में और आचार्य गोयंका मुंबई में! दोनों ही आचार्य बौद्ध थे। हान तो 16 वर्ष की आयु में बौद्ध भिक्षु बन गए लेकिन गोयंका जी 31 वर्ष की आयु में अचानक बौद्ध बने। वे बचपन से आर्य समाज और महर्षि दयानंद के भक्त रहे लेकिन उनके सिर में इतना भयंकर दर्द लगातार होता रहा कि वे दुनिया के कई अस्पतालों में इलाज के लिए मारे-मारे फिरते रहे। उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। वे बर्मा के धनाढ्य व्यापारी परिवार के सदस्य थे। एक दिन वे अचानक रंगून के यू बा खिन नामक बौद्ध भिक्षु के शिविर में चले गए। पहले दिन ही विपासना (विपश्यना) करने से उनका सिरदर्द गायब होने लगा। वे अपने व्यापार आदि छोड़कर भारत आ गए और उन्होंने विपासना-साधना सारे भारत और विदेशों में फैला दी।

    इसी प्रकार भिक्षु हान को महायान झेन पद्धति का संत माना जाता है, वे अमेरिका में पढ़े और उन्होंने वहीं कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया भी। वे कई भाषाओं के जानकर थे और उन्होंने वियतनाम में रहते हुए कई जन-आंदोलन भी चलाए। वियतनाम में अमेरिकी वर्चस्व और ईसाइयत के प्रचार का विरोध करने के कारण 1966 में उन्हें देश निकाला दे दिया गया। 39 साल के बाद स्वदेश लौटने पर अपनी मानसिक सतर्कता की ध्यान पद्धति और अहिंसा के प्रचार के लिए उन्होंने अथक प्रयास किया।

    आचार्य हान से भेंट करने का सौभाग्य मुझे नहीं मिला लेकिन गोयंका जी के बड़े भाई बालकिशन जी मेरे घर आए और उन्होंने कहा कि ‘सतनारायण गुरु जी’ आपसे मिलना चाहते हैं। सत्यनारायण जी अपने साथ मुझे काठमांडो ले गए और दस दिन तक उन्होंने वहां विपासना-साधना करवाई। वह अनुभव अनुपम रहा। मैं ध्यान की दर्जनों अन्य विधियों से पहले से परिचित था लेकिन विपासना ने मेरे स्वभाव में ही जमीन-आसमान का अंतर कर दिया।

    योग दर्शन में चित्तवृत्ति निरोध को ही योग कहा गया है लेकिन विपासना ऐसी सरल ध्यान पद्धति है, जो चित्त को निर्मल और विकार शून्य बना देती है। इसमें सिर्फ आपको इतना ही करना होता है कि अपनी नाक से आने और जाने वाली सांस को आप देखने भर का अभ्यास करें। इस ध्यान पद्धति के आड़े न कोई मजहब, न जात, न राष्ट्र, न भाषा, न वर्ण- कुछ नहीं आता।

    आजकल यूरोप, अमेरिका और आग्नेय एशिया के देशों में इसकी लोकप्रियता बढ़ती चली जा रही है। यह जीते जी यानी सदेह मोक्ष की अनुभूति का सबसे सरल तरीका है। मानव मन की शांति में वियतनामी भिक्षु हान और भारतीय आचार्य गोयंका की इन पद्धतियों का योगदान दुनिया के किसी बादशाह, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से कहीं ज्यादा है।

    (लेखक वरिष्ठ पत्रकार और जाने-माने स्तंभकार हैं।)

    Share:

    इस हफ्ते के अंत तक टाटा समूह को सौंप दी जाएगी एयर इंडिया

    Tue Jan 25 , 2022
    नई दिल्ली। कर्ज में डूबी सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया (Aviation company Air India) को टाटा समूह को सौंपे (handed over to the Tata Group) जाने से सम्बंधित बची हुईं औपचारिकताएं अगले कुछ दिनों में पूरी हो जाएंगी। इसके बाद एयर इंडिया इस हफ्ते के अंत में टाटा ग्रुप को सौंप दी जाएगी। […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved