अत्यधिक भीड़ के कारण मंडल मुख्यालय ही करता है अलॉटमेंट
इंदौर। इंदौर से चलने वाली छह ट्रेनों का वीआईपी कोटा अभी भी रतलाम रेल मंडल मुख्यालय के हाथों में है। कुछ साल पहले तक सारी ट्रेनों का कोटा रतलाम से अलॉट होता था, लेकिन इंदौर स्टेशन पर खाली पड़े एसीएम (असिस्टेंट कमर्शियल मैनेजर) का पद भरने के बाद छह को छोडक़र बाकी ट्रेनों का वीआईपी कोटा फिर इंदौर से होने लगा।
जिन छह ट्रेनों का कोटा अभी भी रतलाम रेल मंडल मुख्यालय के पास है, उनमें इंदौर-हावड़ा शिप्रा एक्सप्रेस, इंदौर-मुंबई अवंतिका एक्सप्रेस, इंदौर-नई दिल्ली इंटरसिटी एक्सप्रेस, इंदौर-नई दिल्ली त्रिसाप्ताहिक ट्रेन व्हाया रतलाम और इंदौर-पटना (दोनों ट्रेनें) शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि इन ट्रेनों में सालभर हर श्रेणी में वेटिंग रहती है और इमरजेंसी कोटा की ज्यादा परमिशन आती हैं। कई बार नई दिल्ली स्थित रेल मंत्रालय से भी इन ट्रेनों के लिए इमरजेंसी कोटे की बर्थ मांगी जाती है। इस संबंध में मैसेज मंडल मुख्यालय में पदस्थ अफसरों को ही आते हैं। रतलाम मंडल में फैक्स भी है। इस वजह से ज्यादा यात्री दबाव वाली ट्रेनों का वीआईपी कोटा रतलाम से ही अलॉट किया जाता है। इस कोटे के तहत जो आवेदन इंदौर स्टेशन पर आते हैं, उन्हें रतलाम भेज दिया जाता है। वहां आला अधिकारी विवेक से उसे अलॉट करते हैं। हर ट्रेन में कोचों के हिसाब से अलग-अलग वीआईपी कोटा होता है। जब इंदौर स्टेशन पर एसीएम की नियुक्ति हुई थी, तब माना जा रहा था कि सभी ट्रेनों का कोटा फिर इंदौर से ही अलॉट होगा, लेकिन अब तक तो ऐसा नहीं हुआ है।
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