नई दिल्ली (New Dehli)। उत्तराखंड का हल्द्वानी (Haldwani of Uttarakhand)गुरुवार को अचानक हिंसा (sudden violence)की आग में जल उठा। पत्थरबाजी-आगजनी और गोलीबारी (firing)में 6 लोगों की मौत (6 people died)हो गई तो सैकड़ों लोग जख्मी हो गए। बड़ी संख्या में मकानों और दुकानों में तोड़फोड़ हुई तो सैकड़ों वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। भीड़ ने ऐसा उत्पात मचाया कि पुलिसकर्मियों के लिए अपनी जान की रक्षा मुश्किल हो गई। देर रात तक हल्द्वानी हिंसा की चपेट में रहा। अब पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
बुलडोजर ऐक्शन शुरू होने के बाद पुलिस पर अचानक हमला कर दिया गया। गलियों में एकत्र भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। पुलिस और अफसरों की वापसी का रास्ता रोकने के लिए बाइकों में आग लगाकर रास्ते पर गिरा दी गईं। पुलिस की सिटी पेट्रोल कार और नगर निगम के एक ट्रैक्टर को भी आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस और खूफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देर रात तक पत्थरबाजी से पुलिस के दर्जनों अफसरों समेत 200 से अधिक जवान घायल हुए हैं।
हल्द्वानी में हुआ क्यों ऐसा बवाल
दरअसल कोर्ट के आदेश पर हल्द्वानी नगर निगम अतिक्रमण हटाने में जुटा है। वनभूलपुरा इलाके में स्थित मलिक के बगीचे में नजूल भूमि (जिस पर किसी का मालिकाना अधिकार ना हो) पर मदरसे और एक मस्जिद बना हुआ था। नगर निगम ने इन्हें अवैध बताते हुए ऐक्शन लिया था। इसको लेकर 4 फरवरी की देररात भी बवाल हो गया था। क्षेत्र में तनाव फैलता देख नगर निगम ने किसी आदेश का हवाला देते हुए दोनों स्थलों को सील कर दिया था। इसके बाद अतिक्रमण तोड़ने की कार्रवाई को रोक दिया था, लेकिन गुरुवार को नगर निगम के कर्मचारी 4 बजे जेसीबी लेकर वनभुलपूरा थाने पहुंच गए। सील संपत्ति पर अचानक क्यों कार्रवाई की गई, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
अधूरी तैयारी पड़ गई भारी
वनभूलपुरा में गुरुवार को हुए बवाल में पुलिस-प्रशासन की आधी-अधूरी तैयारियों का खामियाजा पूरी फोर्स और सुरक्षाकर्मियों को भुगतना पड़ा। सुरक्षा उपकरणों के नाम पर आधे से ज्यादा पुलिसकर्मी दोपहिया वाहनों पर इस्तेमाल होने वाले हेलमेट के सहारे पत्थरबाजों का सामना कर रहे थे। वहीं न तो पर्याप्त मात्रा में विंड शील्ड थी और न ही बाहरी फोर्स को इलाके के रास्तों का पता था। वहीं हिंसा और आगजनी की घटना में प्रशासनिक विफलता भी उजागर हुई है। घटना को लेकर पिछले दिनों क्षेत्र में फैले तनाव को देखते हुए भी प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई।
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