नई दिल्ली: पड़ोसी देश बांग्लादेश (Bangladesh) से एक बार फिर हिंसा की खबर सामने आई है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रविवार को बांग्लादेश में भड़की हिंसा (Violence erupted in Bangladesh) में 32 से अधिक लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए. यहां छात्र प्रदर्शनकारी पुलिस और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं की बीच भिड़ंत हुआ थी. प्रधानमंत्री शेख हसीना (Prime Minister Sheikh Hasina) के इस्तीफे की मांग कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी और स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल किया.
सरकार ने रविवार शाम 6 बजे से अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की, पिछले महीने शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पहली बार सरकार ने ये कदम उठाया है. बांग्लादेश में छात्र सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग को लेकर एक महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों के इस आंदोलन में पहले भी हिंसा भड़क चुकी है और अब तक देश भर में कम से कम 200 लोगों की मौत हो चुकी है. विरोध-प्रदर्शनों का केंद्र राजधानी ढाका रहा है.
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को प्रदर्शनकारियों की भीड़ लाठी वगैरह लेकर पहुंची थी. ढाका के बीच स्थित शाहबाग चौराहे पर यह भीड़ जमा हुई तो पुलिस और आंदोलन कारियों के बीच जमकर संघर्ष हुआ. इसके अलावा कई स्थानों व प्रमुख शहरों में भी सड़क पर प्रदर्शनकारी और पुलिस कर्मियों में आमना-सामना हुआ. प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख राजमार्गों को ब्लॉक कर दिया. पुलिस के साथ-साथ इस झड़प में सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थक भी थे,जिनसे प्रदर्शनकारियों का आमना-सामना हुआ.
प्रदर्शनकारियों में छात्रों के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी द्वारा समर्थित कुछ समूह भी शामिल हैं. प्रदर्शनकारियों ने टैक्स और बिल भुगतान न करने की अपील की है और साथ ही रविवार को काम पर न जाने की अपील की थी. प्रदर्शनकारियों ने रविवार को खुले कार्यालयों और प्रतिष्ठानों पर भी हमला किया, जिसमें ढाका के शाहबाग इलाके में एक अस्पताल, बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी भी शामिल है. प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि ढाका के उत्तरा इलाके में कुछ कच्चे बम विस्फोट किए गए और गोलियों की आवाज सुनी गई.
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, उन्होंने कई गाड़ियों में आग भी लगा दी. ढाका के मुंशीगंज जिले के एक पुलिसकर्मी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “पूरा शहर युद्ध के मैदान में बदल गया है”. विरोध करने वाले नेताओं ने आंदोलनकारियों से खुद को बांस की लाठियों से लैस करने का आह्वान किया था, क्योंकि जुलाई में विरोध प्रदर्शन के पिछले दौर को पुलिस ने बड़े पैमाने पर कुचल दिया था. बांग्लादेश मीडिया के मुताबिक, बोगुरा, मगुरा, रंगपुर और सिराजगंज समेत 11 जिलों में मौतें हुईं, जहां अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के सदस्य सीधे तौर पर भिड़ गए.
बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की कोटा प्रणाली को लेकर पिछले महीने विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. जैसे-जैसे प्रदर्शन तेज होते गए, सुप्रीम कोर्ट ने कोटा घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया, जिसमें से 3 प्रतिशत सेनानियों के रिश्तेदारों को दिया गया. हालाँकि, विरोध प्रदर्शन जारी रहा, प्रदर्शनकारियों ने अशांति को दबाने के लिए सरकार द्वारा कथित अत्यधिक बल के इस्तेमाल के लिए जवाबदेही की मांग की.
हालांकि, पीएम हसीना और उनकी पार्टी प्रदर्शनकारियों के दबाव को खारिज करती दिख रही है. सरकार ने हिंसा भड़काने के लिए विपक्षी दलों और अब प्रतिबंधित दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी और उनकी छात्र शाखाओं को दोषी ठहराया है. राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक के बाद हसीना ने आरोप लगाया, “जो लोग अभी सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वे छात्र नहीं हैं, बल्कि आतंकवादी हैं जो देश को अस्थिर करना चाहते हैं.” उन्होंने देशवासियों से इन आतंकवादियों को सख्ती से दबाने की अपील की.
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