इंफाल (Imphal) । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के जातीय संघर्ष से प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य से रवाना होने के एक दिन बाद ही मणिपुर के विभिन्न हिस्सों से शुक्रवार को उग्रवादियों और सुरक्षा बलों (militants and security forces) के बीच मुठभेड़ की घटनाएं सामने आईं। अपनी यात्रा के दौरान शाह ने शांति और सामान्य स्थिति की वापसी की अपील की थी।
एक पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार सुबह बिष्णुपुर जिले के चांदोलपोकपी, तांगजेंग, पोम्बिखोक और कामसन (Chandolpokpi, Tangjeng, Pombikhok and Kamsan) गांवों में उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ की। उग्रवादियों के हमले के बाद स्थानीय लोगों को तांगजेंग गांव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। उग्रवादियों ने चुराचांदपुर जिले के बेथेल गांव (Bethel Village) में घरों को भी आग लगा दी।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि इंफाल पश्चिम जिले के कांगचुप चिंगखोंग इलाके (Kangchup Chingkhong area) में विद्रोहियों ने एक घर को जला दिया और सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ हुई। हालांकि इन घटनाओं में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
सरकार ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि राज्य में जातीय हिंसा में कम से कम 98 लोगों की जान चली गई और 310 अन्य घायल हो गए। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि कुल 37,450 लोग वर्तमान में 272 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद पहली बार तीन मई को झड़पें हुई थीं। मैतेई मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नगा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है। एक पखवाड़े से अधिक समय तक अपेक्षाकृत शांत रहने के बाद राज्य में उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष और गोलीबारी में तेजी देखी गई।
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