रोम। इटली (Italy) में समलैंगिक- बाइसेक्सुअल- ट्रांसजेंडर (LGBT) समुदायों को इंसाफ दिलाने के लिए प्रस्तावित एक कानून(Law) से सामाजिक तनाव (Social tension) पैदा हो गया है। इस बिल में एलजीबीटी समुदायों(LGBT Community) के खिलाफ हिंसा(Violence) और नफरत भरी बातों (hate speech) को अपराध बनाने के प्रावधान है। कैथोलिक चर्च और दक्षिणपंथी राजनीतिक समूह प्रस्तावित कानून को जोरदार विरोध कर रहे हैं। लेकिन हैरतअंगेज यह है कि कुछ नारीवादी और लेस्बियन समूह भी इसके विरोध में उतर आए हैं। उनकी आपत्ति यह है कि प्रस्तावित कानून के जरिए समलैंगिकों और ट्रांसजेंडर समूहों को उस कानून के तहत सुरक्षा दी जाएगी, जिसके तहत धर्म और नस्ल आधारित हेट क्राइम को दंडित किया जाता है। इसी कानून के तहत विकलांगों को भी सुरक्षा देने का प्रावधान प्रस्तावित कानून में किया गया है।
विश्लेषकों का कहना है कि प्रस्तावित कानून इटली में कल्चर वॉर (सांस्कृतिक युद्ध) का हिस्सा बन गया है। आरोप लगाया गया है कि इसके जरिए अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश की जा रही है। बिल डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद और समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता अलेसांद्रो जान ने पेश किया है। कैथोलिक चर्च ने कहा है कि ये बिल पास हुआ तो देश में आजादी की हत्या हो जाएगी। उधर दक्षिणपंथी गुटों ने कहा है कि प्रस्तावित कानून के जरिए उन लोगों को दंडित किया जाएगा, जो समलैंगिक विवाहों और समलैंगिकों जोड़ों के गोद लेने के अधिकार का विरोध करते हैं।
बिल को लेकर एलजीबीटी और नारीवादी गुटों में भी मतभेद खड़े हो गए हैं। कुछ गुट इसका समर्थन कर रहे हैं। लेकिन देश में महिला समलैंगिकों की सबसे बड़ी संस्था ने कहा है कि बिल में सभी प्रकार के हेट क्राइम को एक ही श्रेणी में रखने से महिलाओं की आजादी के लिए चुनौती खड़ी होगी, जिसे महिलों ने अपने लंबे संघर्ष से हासिल किया है। गौरतलब है कि इटली में समलैंगिक विवाह को 2016 में कानूनी मान्यता दे दी गई थी। लेकिन होमोफोबिया (समलैंगिक द्रोह) के खिलाफ देश में कोई कानून नहीं है। जबकि कुछ अपवादों को छोड़ कर यूरोपियन यूनियन के ज्यादातर देशों में ऐसे कानून हैं। अपवाद देशों में पोलैंड, चेक रिपब्लिक, बल्गारिया और लिथुआनिया शामिल हैं। हाल में नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन आईएलजीए-यूरोप की एक रिपोर्ट में एलजीबीटी समुदाय की वैधानिक और नीतिगत स्थिति की एक सूची में इटली को 35वें नंबर पर रखा गया था। इस सूची में यूरोप और मध्य एशिया के कुल 49 देशों को शामिल किया गया था। इटली में होमोफोबिया और ट्रांसफोबिया (ट्रांसजेंडर द्रोह) के शिकार लोगों के हेल्पलाइन चलाने वाली संस्था- गे सेंटर एसोसिएशन के मुताबिक उसे हर साल ऐसी औसतन 20 हजार शिकायतें मिलती हैं, जिनमें समलैंगिक और ट्रांसजेंडर लोग हिंसा या धमकियों का शिकार हुए होते हैं। अब इटली में जो कानून बनाने की कोशिश हो रही है, उससे संबंधित बिल पिछले साल ही संसद के निचले सदन से पारित हो गया था। लेकिन तब सरकार बदलने के कारण देश राजनीतिक अस्थिरता का शिकार हो गया। इसलिए ऊपरी सदन सीनेट की मंजूरी इसे नहीं मिल पाई। अब इसे सीनेट की मंजूरी दिलाने की कोशिश हो रही है। फिलहाल इटली में राष्ट्रीय एकता की शिकार है। इसमें दक्षिणपंथी पार्टियां भी शामिल हैं। इसलिए बहुत से जानकारों का मानना है कि बिल को सीनेट से पारित कराना मुश्किल होगा। सवाल यह उठाया गया है कि क्या प्रधानमंत्री मारियो द्राघी की सरकार इस कानून के लिए अपने लिए सियासी मुश्किलें मोल लेगी?