मुंबई । बतौर खलनायक ( Villain) अपने करियर का आगाज कर नायक (Hero) के रूप में फिल्म इंडस्ट्री (Film industry) में शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचने वाले सदाबहार अभिनेता(Evergreen Actor ) विनोद खन्ना (Vinod Khanna) ने अपने अभिनय से दर्शकों के बीच अपनी अमिट पहचान बनायी है। 6 अक्टूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर (Born in Peshawar, Pakistan) में जन्में विनोद खन्ना (Vinod Khanna) का निधन 27 अप्रैल 2017 में हो गया था।
एक पार्टी के दौरान विनोद खन्ना को निर्माता-निर्देशक सुनील दत्त से मिलने का अवसर मिला। सुनील दत्त उन दिनों अपनी फिल्म ‘मन का मीत’ के लिये नये चेहरों की तलाश कर रहे थे। उन्होंने फिल्म में विनोद खन्ना से बतौर सहनायक काम करने की पेशकश की जिसे विनोद खन्ना ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
साल 1968 में प्रदर्शित फिल्म ‘मन का मीत’ टिकट खिड़की पर हिट साबित हुयी। फिल्म की सफलता के बाद विनोद खन्ना को आन मिलो सजना, मेरा गांव मेरा देश, सच्चा झूठा जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिकायें निभाने का अवसर मिला लेकिन इन फिल्म की सफलता के बावजूद विनोद खन्ना को कोई खास फायदा नहीं पहुंचा।
विनोद खन्ना को प्रारंभिक सफलता गुलजार की फिल्म ‘मेरे अपने’ से मिली। इसे महज एक संयोग ही कहा जायेगा कि गुलजार ने बतौर निर्देशक करियर की शुरूआत की थी। छात्र राजनीति पर आधारित इस फिल्म में मीना कुमारी ने भी अहम भूमिका निभाई थी। फिल्म में विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच टकराव देखने लायक था।
साल 1973 में विनोद खन्ना को एक बार फिर से निर्देशक गुलजार की फिल्म ‘अचानक’ में काम करने का अवसर मिला जो उनके करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुयी। साल 1977 में प्रदर्शित फिल्म ‘अमर अकबर ऐंथनी’ विनोद खन्ना के सिने करियर की सबसे कामयाब फिल्म साबित हुयी।
वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म ‘कुर्बानी’ विनोद खन्ना के करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुयी। फिरोज खान के निर्माण और निर्देशन में बनी इस फिल्म में विनोद खन्ना ने अपने दमदार अभिनय से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से नामांकित किये गये।
80 के दशक में विनोद खन्ना शोहरत की बुलंदियो पर जा पहुंचे और ऐसा लगने लगा कि सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को उनके सिंहासन से विनोद खन्ना उतार सकते है, लेकिन विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया और आचार्य रजनीश के आश्रम की शरण ले ली।
वर्ष 1987 में विनोद खन्ना ने एक बार फिर से फिल्म ‘इंसाफ’ के जरिये फिल्म इंडस्ट्री का रूख किया। फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद विनोद खन्ना ने समाज सेवा के लिए वर्ष 1997 राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से वर्ष 1998 में गुरदासपुर से चुनाव लड़कर लोकसभा सदस्य बने।
वर्ष 1997 में अपने पुत्र अक्षय खन्ना को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिये विनोद खन्ना ने फिल्म ‘हिमालय पुत्र’ का निर्माण किया। फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी। विनोद खन्ना ने अपने 4 दशक लंबे सिने करियर में लगभग 150 फिल्मों में अभिनय किया। अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले विनोद खन्ना 27 अप्रैल 2017 को अलविदा कह गये।
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