नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को मंजूरी दी गई है. इसके लिए 4800 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जिसमें से 2500 करोड़ सड़कों के विकास पर खर्च होंगे. इसका मकसद होगा कि रोजगार के अवसर बने और स्वरोजगार के साधन गांव मे ही मिले. पहले चरण में उत्तरी सीमा पर सामरिक रूप से महत्व रखने वाले 662 गावों का समग्र विकास किया जाएगा.
लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुल 2966 गावों को चुना गया है. इस प्रोग्राम का महत्व इसलिए भी है क्योंकि देश की उत्तरी सीमा पर रोजगार के अभाव मे पलायन हो रहा है. इस फैसले को ऐसे भी देखा जा सकता है कि चीन सीमा से सटे गांवों में से पलायन रुके, यहां इंफ्रा मजबूत हो, गांवों का विकास हो और रोजगार के अवसर वहीं मिले. उधर चीन भी सीमा पर गांव बसा रहा है.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि देश में सहकारिता को बल देने और सहकारिता से समृद्धि के लिए 2 लाख पंचायत में नए पैक्स के गठन का फैसला लिया गया है. इसके लिए 5 साल का लक्ष्य रखा गया है. 25 अलग-अलग सुविधाओं को इसमें शामिल किया गया है. डेयरी स्टोरेज क्रेडिट सोसाइटी CEC आदि के काम को इसमें शामिल किया गया है. 98,995 पैक्स आज देश में है लेकिन इसमें लगभग 65 हजार फायदे में हैं. सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में इंटर मिनिस्ट्री कमेटी का भी गठन किया जाएगा.
देश की सुरक्षा को लेकर सरकार ने कई कदम उठाए: ठाकुर
अनुराग ठाकुर ने कहा कि बॉर्डर पर इतनी खूबसूरती है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है और इसकी अनदेखी पिछले कई सालों में की गई जिसके कारण पलायन हुआ. वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत इसका विकास किया जाएगा. आप इसको राष्ट्रीय सुरक्षा, वहां की समृद्धि या फिर गांव के विकास को लेकर देखें. सबका अलग-अलग नजरिया है. भारत की सुरक्षा को लेकर हमने कई कदम उठाए है.
डिफेंस सेक्टर में मेक इन इंडिया किया. सभी देश अपनी क्षमता बढ़ा रहे हैं. यह सामरिक दृष्टि के साथ-साथ वहां पर सुविधा बढ़ाने की दिशा में उठाया गया कदम है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा संबंधी समिति (CCS) ने लद्दाख को ऑल वेदर कनेक्टिविटी देने के लिए शिनकुन ला टनल के निर्माण को मंजूरी दी. इसकी लंबाई 4.1 किलोमीटर होगी और सड़क सहित टनल का निर्माण दिसंबर 2025 तक पूरा होगा. इसके साथ ही आईटीबीपी की 7 नई बटालियन के गठन को मंजूरी दी है.
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