घोंसला। मनकामनेश्वर महादेव मंदिर से कई गाँव के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। यहाँ होलिका दहन के अगले दिन सोमवार को एक दिवसीय मेले का आयोजन हुआ जिसमें चूल भी जलाई गई थी। चूल के धधकते अंगारों पर कोई हाथ में कलश लिए तो कोई बच्चों के लिए मन्नत माँगते हुए तो कोई मन्नत पूरी होने पर नंगे पैर चलता नजर आया। भक्तों ने आराध्य को भी शीश झुकाया। यह सिलसिला शाम तक चलता रहा। हर कोई इस अनूठी परंपरा का हिस्सा बन खुद को सौभाग्यशाली मान रहा था। ग्रामीणों में मान्यता है कि अंगारों की जलती चूल पर चलने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। इस अनोखे आयोजन को देखने के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण भी पहुँचे थे, वही राघवी थाना पुलिस ने कार्यक्रम स्थल के आसपास सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए। ढोल की थाप पर मुस्कुराते चेहरों को देख कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि चूल पर चलने के दौरान इनके पैर जलते होंगे। दावा ये भी है कि आज तक कभी कोई हादसा नहीं हुआ। ग्रामीण इसे भगवान का आशीर्वाद मानते हैं और अपने बच्चों को भी इस परंपरा के बारे में सिखाते हैं। ताकि परंपरा का निर्वहन होता रहे। ग्रामीण बताते हैं कि सबसे पहले बाबा मनकामनेश्वर मन्दिर के सामने 21 फुट लंबा गड्ढा खोदा जाता है जिसका पहले पुजारी के माध्यम से पूजन होता है। मंत्रोच्चारण के साथ उसमें लकड़ी डालकर मंदिर के दीपक से अग्नि प्रज्जवलित की जाती है। सबसे पहले पुजारी आग पर से निकलते हैं। इसके बाद बारी-बारी से मन्नतधारी गुजरते हैं।
महिदपुर रोड के झरादेश्वर महादेव मंदिर में हजारों श्रद्धालु चले चूल पर
महिदपुर रोड। सोमवार को धुलेंडी पर्व पर झरावदा गांव किनारे स्थित झरादेश्वर महादेव मंदिर में इस वर्ष भी चूल का आयोजन किया गया। चूल आयोजन समिति अध्यक्ष राधाकिशन पटेल के अनुसार चूल में एक हजार से अधिक महिला पुरुषों और बच्चों ने अपनी मन्नत पूरी होने पर धधकते अंगारों से भरी चूल से निकले। आयोजन में गोवर्धन सिंह, मेहरबान सिंह, कुशाल सिंह, विक्रम जाट, बालाराम जाट, भरत जाट, सरपंच पूनमचंद जाट, राधेश्याम जाट, सत्यनारायण प्रजापत, गोविंद प्रजापत, रमेश जाट सहित अन्य का सहयोग रहा। जानकारी समिति सचिव धारासिंह जाट ने दी।
खेड़ाखजूरिया में भी होलिका दहन और चूल का आयोजन
खेड़ाखजूरिया। प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी गांव में होली का पर्व हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाया गया। होलिका दहन की पूर्व संध्या पर बड़ी संख्या कंडे एकत्रित कर होलिका को सजाया गया है। धुलेडी की अल सुबह होलिका का पूजन के बाद होलिका दहन किया गया। बड़ी संख्या में ग्रामीणजनों ने होलिका का पूजन किया। होलिका दहन के बाद गाँव में नन्हे मुन्ने बच्चों सहित बड़ों ने एक-दूसरे को रंग लगाकर होली खेली। इसके पश्चात खेड़ाखजूरिया स्थित महादेव व हनुमान मंदिर पर चूल का आयोजन किया गया। चूल में धधकते अंगारों पर मन्नतधारी महिला-पुरुष हर हर महादेव, भोले शंभू भोलेनाथ के जयकारों के साथ निकले। चूल के पश्चात महाप्रसादी का वितरण किया गया। चूल देखने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।
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