- उज्जैन जिले का एक गाँव जहाँ सड़क ही नहीं-बच्चों को गोद में उठाकर ले जाना पड़ता है स्कूल
- मूलभूत सुविधाओं की मांग करते-करते थके ग्रामीण तो लिया निर्णय
उज्जैन। शहर से मात्र 30 से 35 किलोमीटर की दूरी का एक गांव जिसके ग्रामीण अपनी मूलभूत सुविधाओं की मांग करते-करते इतने थक गए कि अब ग्रामीणों ने एक मत होकर इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को वोट नहीं देने का निर्णय लेकर चुनाव का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर दिया है।
अगर यह कहा जाए कि एक गांव ऐसा भी है जो उज्जैन से मात्र 30 से 35 किलोमीटर की दूरी पर है, जहाँ वर्षों से ना तो सड़क बनी है ना ही ग्रामीणों के लिए कोई पानी की व्यवस्था है और ना ही ग्रामीणों के लिए कोई सामुदायिक भवन है तो बात कुछ आश्चर्यजनक लगेगी लेकिन यह सब कुछ सही है। उज्जैन जिले की तराना तहसील के गाँव मानपुरा खोकरी में गांव से मुख्य मार्ग तक आने के लिए 7 से 8 किलोमीटर का सफर ग्रामीण आज भी बगैर सड़क के करते हैं और सबसे ज्यादा हालत खराब होते हैं बारिश में। वर्षा के समय इस गाँव की स्थिति स्कूल में पढऩे वाले बच्चे, बीमार दुखियों के लिए सबसे ज्यादा खराब हो जाती है। गाँव के ग्रामीण बताते हैं कि या तो बच्चों की छुट्टी करना पड़ती है या फिर बच्चों को स्कूल कीचड़ में गोद में उठाकर ले जाना पड़ता है।
कच्ची सड़क पर घुटने-घुटने पानी रहता है और अंदर कीचड़ रहता है। ऐसे में वाहन भी नहीं चलते हैं। गांव में अगर कोई अत्याधिक बीमार हो जाए तो उसे मुख्य मार्ग से अस्पताल तक ले जाने के लिए चारपाई पर लेटाकर ले जाना पड़ता है। एक तरीके से कहा जाए तो आजादी के बाद किसी भी प्रकार की मूलभूत सुविधा इस गांव में नहीं पहुँची। गांव में लगभग ढाई से तीन हजार ग्रामीण निवास करते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि गांव में स्वच्छ जल के लिए सरकार द्वारा चलाई गई योजना घर-घर नल और जल योजना अन्य सभी गाँवों में पहुंच चुकी है लेकिन उनके गांव तक अभी यह योजना कोसों दूर है। बिजली व्यवस्था भी इस गांव की अधिकतर ध्वस्त रहती है। गांव के ग्रामीणों को अगर घर में शादी-विवाह करना है या कोई कार्यक्रम है तो उसके लिए कोई सामुदायिक भवन तक नहीं है। खुले में ही सब कार्यक्रम करने पड़ते हैं। बारिश या तेज आंधी में सारे कार्यक्रम खराब हो जाते हैं। गांव के ग्रामीण हुकमसिंह राठौड़ ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा विधायक, सांसद सहित कई जनप्रतिनिधियों को गाँव की समस्याओं के बारे में और मूलभूत सुविधाओं और योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए कहा गया लेकिन आश्वासन के अलावा और कुछ भी नहीं मिला। गाँव के ग्रामीणों ने परेशान होकर इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी भी दल के प्रत्याशी को वोट नहीं देने और चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।