रामेश्वर धाकड़
भोपाल। गांवों में अक्सर खेत-खलियान एवं घर-आंगन के छोटे-छोटे विवाद खून-खराबे तक पहुंच जाते हैं। सालों तक ग्रामीण थाने, कोर्ट-कचहरी एवं अन्य सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटते रहते हैं, लेकिन विवाद खत्म नहीं होते हैं। खासकर ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में छोटे-छोटे विवाद गंभीर धाराओं में बदल जाते हैं। ऐसे ही छोटे विवादों का खात्मा अब गांव की चौपाल ही आपसी समझौते से होने लगा है। ग्रामीणों के बीच ‘समझौते से समाधान’ तेजी से चर्चित हो रहा है। अभी तक दोनों संभाग के आठ जिलों में करीब डेढ़ हजार से ज्यादा विवादों का समाधान हो चुका है। ग्वालियर-चंबल संभाग के आयुक्त आशीष सक्सेना के अनुसार खेत की मेढ़ के विवादों का निपटारा कलेक्टर-कमिश्नर के पास नहीं होना चाहिए, बल्कि ऐसे विवाद गांव में ही निपटना चाहिए। इसी थीम पर समझौते से समाधान के लिए एक बीट सिस्टम दोनों संभागों के 8 जिलों में शुुरू किया है। तीन महीने पहले नवंबर 2021 में शुरू किए गए बीट सिस्टम के अब परिणाम सकारात्मक आ रहे हैं। अभी तक डेढ़ हजार से ज्यादा छोटे-छोटे विवादों का निराकरण हो चुका है। विवादों में ख्ेात-खलियान, घर-आंगन, छोटे-छोटे अपराध एवं अन्य दीवानी के मामले हैं। ऐसे प्रकरणों का निराकरण बीट सिस्टम के तहत किया गया है। पंचायत स्तर पर बीट सिस्टम के तहत जिन प्रकरणों का खात्मा हुआ है, उसकी रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड भी की गई है। केस जिस कोर्ट में चल रहा था, वहां भी केस बंद किया गया है।
विवाद मुक्त गांव का मिलेगा तमगा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में विवाद रहित गांवों को अवॉर्ड देेन की घोषणा की है। ग्वालियर संभागायुक्त आशीष सक्सेना मुख्यमंत्री की मंशानुसार समझौता समाधान के तहत गांवों को विवाद मुक्त बनाने में लगे हैं। जिस गांव से विवाद खत्म हो जाएंगे, उन गांव को विवाद मुक्त गांव का तमगा मिलेगा। आयुक्त ने बताया कि ऐसे 50 गांव हंैं, जिनमें केाई विवाद नहीं है।
हर स्तर पर मान्यहोगा समझौता
बीट सिस्टम के तहत जिन केसों का निराकरण हो रहा है, वे उसी तरह है, जैसे किसी कोर्ट में निराकृत होते हैं। समझौता रिपोर्ट संबंधित कोर्ट केस में लगाई जाती है। भविष्य में विवाद न करेंगे, पक्षकारों को इसका भी संकल्प दिलाया जाता है। यदि उसी मसले को लेकर पक्षकारों ने फिर से विवाद किया तो फिर आगे भी समझौता वाली रिपोर्ट के आधार पर ही निर्णय होगा।
इस तरह काम करता है बीट सिस्टम
हर पंचायत एवं थाना स्तर पर एक टीम बनाई गई है। जिसमें पंचायत सचिव, थाना स्टाफ, पटवारी एवं गांव के चौकीदार शामिल होते हैं। बीट टीम को संबंधित पंचायत के राजस्व, छोटे अपराध एवं अन्य छोटे विवादों की सूची दी गई है। पटवारी को बीट प्रभारी बनाया गया है। जो चौकीदार के माध्यम से संबंधित प्रकरण को समझौता समाधान में लाने के लिए दोनों पक्षकारों को सूचना देता है। सामान्य तौर पर पक्षकार इसमें सुनवाई के लिए राजी हो जाते हैं। गांव की चौपाल पर हर मंगलवार को केस की सुनवाई शुरू होती है। जिसें पटवारी, सचिव और थाना स्टाफ मौके पर रहते हैं। जबकि तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर एवं संभागायुक्त गूगल मीट के जरिए वर्चुअली शामिल होते हैं। मौके पर कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी)का संचालक भी मौजूद रहता है। जिससे जरूरत पडऩे पर ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है। जब प्रकरणों की सुनवाई होती है तो पक्षकारों को बड़े अफसरों के सामने अपनी बात रखने का मौका मिलता और फिर दोनों पक्षकार समझौते के लिए राजी भी हो जाते हैं। खास बात यह है कि दोनों पक्षकारों का पक्ष सुनने के साथ-साथ उन्हें समझाइश भी दी जाती है। समझौता होने के बाद दोनों पक्षकार एक-दूसरे का माला पहनाकर अपने गिले-शिकबे दूर करते हैं।
हमारी कोशिश है कि गांव के छोटे विवाद गांव में ही खत्म हो जाएं। खेत की मेड़, मवेशियों के विवाद बड़े-बड़े विवादों में बदल जाते हैं। सालों तक मनमुटाव रहता है। समझौते से समाधान के जरिए ऐसे विवादों का गांव में ही निपटारा किया जा रहा है। हर मंगलवार को गांव में टीम रहती है। आला अधिकारी इसमें वर्चुअली शामिल होते हैं।
आशीष सक्सेना, आयुक्त, ग्वालियर-चंबल संभाग
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