भोपाल। मध्यप्रदेश में गांव वाले मुखिया इन दिनों परेशान है, पंचायत चुनाव निरस्त होने के बाद सरकार ने उन्हें वित्तीय अधिकार तो लौटा दिए लेकिन तिजोरी की चाबी लॉक कर दी। 2 माह से डिजिटल सिग्नेचर (डीएससी) बंद पड़े है। ऐसे में पंचायतों में कामकाज ठप है। यहां तक कि 15वें वित्त की राशि जस की तस खातों में पड़ी है। इधर, मामले में अफसरों ने प्रदेश स्तर पर टेक्निकल समस्या बताकर हुए पल्ला झाड़ लिया। डिजिटल सिग्नेचर बंद होने से सरपंचों के सामने समस्या खड़ी हो गई है। खंडवा जनपद की रोहिणी पंचायत के सरपंच भगवानसिंह पटेल बताते है कि, 2 महीने से खाते बंद पड़े है, गांव में काम नहीं करवा पा रहे है। अच्छा होता कि सरकार वित्तीय अधिकार ही नहीं देती। अब गांव वाले हमकों कोस रहे है। गर्मी का समय आ गया है। नल-जल योजना बंद हो जाएगी तो बिना पैसे के विकल्प कैसे ढूढूेंगे। इसके अलावा 15वें वित्त की राशि को भी खर्च नहीं कर पा रहे है। गांव की कई गलीयों में कीचड़ पसरा है। जलजीवन मिशन में गांव की सड़के खुद गई है। अब शादी-ब्याह का समय आया तो गांव वाले सड़कों से लेकर पानी के टैंकर मेंटनेंस के लिए दबाव बनाते है। ऊपर से पंचायत सचिव और जनपद सीईओ किसी की सुनते नहीं है। डिजिटल हस्ताक्षर बंद होने की समस्या से कई बार अवगत करा चुका है। सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved