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चंद्रयान-3 में किए काफी परिवर्तन, 5 की जगह रहेंगे चार इंजन

September 17, 2020


नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो (ISRO) चंद्रमा मिशन के तहत चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को 2021 की शुरुआत में लॉन्च करेगा। चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के विपरीत इसमें ‘ऑर्बिटर’ नहीं होगा लेकिन इसमें एक ‘लैंडर’ और एक ‘रोवर’ होगा। इस पूरे मिशन की खास बात ये है कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में पांच इंजन थे जबकि इस बार चंद्रयान-3 में सिर्फ चार ही इंजन लगाए गए हैं। चांद के चारों तरफ घूम रहे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के साथ लैंडर रोवर का संपर्क बनाया जाएगा। इससे मिशन को कामयाबी हासिल करने में आसानी होगी।
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के चारों कोनों पर एक-एक इंजन लगाया गया था जबकि बीच में एक बड़ा इंजन लगाया गया था जबकि चंद्रयान-3 से बीच में लगा बड़ा इंजन हटा लिया गया है। इससे चंद्रयान-3 का भार भी काफी कम हो गया है। यही नहीं चंद्रयान-2 को धूल से बचाने के लिए इस इंजन को लगाया गया था लेकिन नए मिशन में इसे पूरी तरह से हटा लिया गया है।
चंद्रयान-3 मिशन को सफल बनाने के लिए इसरो ने इसमें कई तरह के बदलाव किए हैं। बीच का इंजन हटाने से न केवल लैंडर का वजन कम हुआ है बल्कि कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सके इसके लिए लैंडर के पैर में भी बदलाव किया जा रहा है। इसके अलावा लैंडर में लैंडर डॉप्लर वेलोसीमीटर (LDV) भी लगाया गया है, ताकि लैंडिंग के समय लैंडर की गति की सटीक जानकारी हासिल की जा सके।
चांद की नकली सतह उतारा जाएगा लैंडर
पिछली बार की तरह इसरो इस बार कोई गलती नहीं करना चाहता है। यही कारण है ​कि चंद्रयान-3 के लैंडर को चांद की सतह पर अच्छे से उतरने के लिए जमीन पर ही इसका पहले ही परीक्षण किया जाएगा। इसके लिए बेंगलुरु से 215 किलोमीटर दूर छल्लाकेरे के पास उलार्थी कवालू में नकली चांद के गड्ढे तैयार किए जाएंगे। इस तरह की सतह बनाने के लिए इसरो ने टेंडर भी जारी कर दिया है। इसरो का कहना है कि उन्हें ये काम करने के लिए जल्द ही कोई कंपनी मिल जाएगी। बता दें कि इन गड्ढों को बनाने में 24.2 लाख रुपये की लागत आएगी।
चंद्रयान-2 को पिछले साल 22 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था। इसके चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की योजना थी। लेकिन लैंडर विक्रम ने सात सितंबर को हार्ड लैंडिंग की और अपने प्रथम प्रयास में ही पृथ्वी के उपग्रह की सतह को छूने का भारत का सपना टूट गया था। अभियान के तहत भेजा गया आर्बिटर अच्छा काम कर रहा है और जानकारी भेज रहा है। चंद्रयान-1 को 2008 में प्रक्षेपित किया गया था।

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