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विजयवर्गीय ने कराई स्वामी प्रेमानंद और पंडित प्रदीप मिश्रा के बीच सुलह

June 16, 2024

  • एक फोन… और हो गया दो ज्ञानियों के बीच चल रहा महान द्वंद का विराम

इन्दौर। राधा रानी और बरसाना से जुड़ी एक टिप्पणी को लेकर देश के दो बड़े धार्मिक व्यक्तित्व ख्यात रसिक संत स्वामी प्रेमानंद महाराज और अंतरराष्ट्रीय कथाकार पंडित प्रदीप मिश्रा के बीच शुरू हुए विवाद का सुखद पटाक्षेप मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के प्रयासों से हो गया है। शुक्रवार रात पंडित मिश्रा ने स्वामी प्रेमानंद से फोन पर संपर्क कर अपने कथन के लिए माफी मांगी तो स्वामीजी ने कहा, आवेश में कह गए शब्दों के लिए मुझे भी दुख है। उन्होंने अपने कथन पर खेद भी व्यक्त किया। दोनों के बीच संवाद स्थापित करने की पहल भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने की थी।

इन दिनों पंडित मिश्रा की कथा ओंकारेश्वर के नजदीक चल रही है। शुक्रवार को मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इस कथा में शामिल होने पहुंचे थे। कथा के बाद जब उनका पंडित मिश्रा से संवाद हुआ तो उसमें चर्चा का एक विषय यह भी रहा। हकीकत से वाकिफ होने के बाद विजयवर्गीय ने उसी समय दोनों के बीच संवाद की पहल की। पंडित मिश्रा तत्काल तैयार हो गए और वहीं से उन्होंने स्वामी प्रेमानंद को फोन लगाया। दोनों के बीच लंबा संवाद हुआ और पंडितजी ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा कि स्वामीजी जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, वह आधा-अधूरा है, इस कारण पूरी बात आपके सामने नहीं आ पाई। यह वीडियो 14 साल पहले महाराष्ट्र के कमलापुर में हुई मेरी कथा का है और इसे काट-छांटकर वायरल किया गया है।


वीडियो में केवल प्रारंभिक संवाद ही वायरल हुआ है। मैंने आगे जो कुछ कहा, वह आपके सामने नहीं आ पाया। भगवान श्रीकृष्ण, राधा रानी और बरसाना के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा होने की बात कहते हुए पंडितजी ने कहा कि यदि मेरी वाणी से आपको ठेस पहुंची है तो मैं क्षमा भी चाहता हूं, मुझे माफ करें। पूरी बात से वाकिफ होने के बाद स्वामी प्रेमानंद ने कहा कि जिस स्वरूप में वीडियो मेरे सामने आया था, उसे देखने के बाद मेरे मन में आक्रोश उपजना स्वाभाविक था। इस आक्रोश के कारण मैंने कुछ तल्ख टीका-टिप्पणी कर दी। इसका मुझे भी दुख है और मैं खेद प्रकट करता हूं। इसके कुछ ही देर बाद उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पंडित मिश्रा को लेकर की गई कड़ी टिप्पणी को डिलीट भी कर दिया।

भारी विरोध शुरू हो गया था पंडित मिश्रा का
गौरतलब है कि इस विवाद के चलते पूरा ब्रजमंडल पंडित मिश्रा के खिलाफ लामबंद हो गया था और यहां तक कहा गया था कि उन्हें वृंदावन में कदम भी नहीं रखने दिया जाएगा। बृजवासियों ने मथुरा के एसएसपी को ज्ञापन सौंपकर पंडित मिश्रा के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। इंदौर में भी उनका पुतला फूंका गया था। पंडित मिश्रा के प्रति आस्था रखने वाले लोगों ने उनके समर्थन में मोर्चा संभाल लिया था और उनका कहना था कि जो कुछ शास्त्रों में उल्लेखित है, उसी के मुताबिक पंडित मिश्रा ने अपनी बात कही है।

क्या कहा था पंडित मिश्रा ने?
दोनों के बीच विवाद और तल्ख टिप्पणियों की शुरुआत सोशल मीडिया पर उस वीडियो के वायरल होने के बाद हुई थी, जिसमें पंडित मिश्रा ने राधा रानी को लेकर कहा कि वह बरसाना के रहने वाली नहीं थी। श्रीकृष्ण की पत्नियों में राधा का नाम नहीं है और राधा के पति का नाम अनेक घोष है, उनकी सास का नाम जटिला और ननद का नाम कुटिला था। इसी वीडियो में उन्होंने श्रद्धालुओं से यह सवाल किया था कि बताओ राधाजी कहां की है, जिस पर जवाब मिला था कि बरसाना की। तब पंडित मिश्रा ने कहा था, वह बरसाना की नहीं रावल गांव की रहने वाली थी राधाजी। बरसाना में राधाजी के पिता की कचहरी थी। राधाजी साल में एक बार कचहरी आते रहती थी, इसलिए उनका नाम बरसाना पड़ा, यानी कि बरस में एक बार आना।

दोनों महान व्यक्ति, मैं तो तुच्छ सेवक-विजयवर्गीय
स्वामी परमानंद और पंडित प्रदीप मिश्रा दोनों ही धर्म और संस्कृति के बहुत बड़े नाम हैं। दोनों का बहुत बड़ा शिष्यवृंद है। मैं तो तुच्छ सेवक हूं। मैंने तो दोनों के बीच संवाद की पहल की थी और प्रभु कृपा से सब कुछ सामान्य हो गया।

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