कोलकाता . भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है.
विजयवर्गीय ने आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दक्षिण बंग प्रांत कार्यवाहक जिष्णु बसु द्वारा जारी एक वीडियो संदेश को रिट्वीट करते हुए उपरोक्त आरोप लगाया है .
उक्त विडियो में जिष्णु बसु ने दावा किया है कि बंगाल में कोरोना के संदिग्ध मरीजों को सरकारी अस्पताल यह कह कर लौटा रहा है कि पहले रिपोर्ट लेकर आओ तभी अस्पताल में भर्ती किया जायेगा. एक शिक्षक का उदाहरण देते हुए जिष्णु बसु ने दावा किया है कि उक्त शिक्षक में कई अन्य गंभीर बीमारियां पहले से थीं. वह दानकुनी के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए गए थे लेकिन अस्पताल ने बताया कि उनमें कोरोना संक्रमण के संदिग्ध लक्षण हैं, इसलिए उन्हें जांच के लिए कोलकाता जाना चाहिए. वह जब कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती लेने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें कोविड-19 समर्पित मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जाना होगा. जिष्णु बसु ने दावा किया है कि जब चिकित्सक मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे तो वहां कहा गया कि जब तक उनकी रिपोर्ट कोरोना रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक उन्हें भर्ती नहीं लिया जाएगा.
इसके बाद बसु सवाल किया है कि इसका मतलब है कि बंगाल के ऐसे लोग जिनमें कोरोना के लक्षण हैं, उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती रहकर पहले अपनी रिपोर्ट लानी होगी.
उसके बाद राज्य में सरकारी अस्पतालों में उनको भर्ती लिया जाएगा. एक दिन का प्राइवेट अस्पतालों का खर्च कम से कम ₹50000 रुपये हैं. ऐसे में कितने लोग हैं जो इस खर्च को वहन कर सकते हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो बंगाल में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर हो चुकी है.
उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ से इस मामले में शीघ्र हस्तक्षेप कर गरीबों के लिए सुविधाएं सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है. इसी वीडियो को रिट्वीट करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने लिखा है कि पश्चिम बंगाल में मरीजों को अस्पतालों में भर्ती नहीं मिल रही. एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर किया रहा है और उन्हें रिपोर्ट लेकर आने को कहा जा रहा है . (एजेंसी, हि.स.)
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