लंदन। पांच साल से अधिक समय से ब्रिटेन में रह रहे संकटग्रस्त व्यवसायी विजय माल्या पिछले साल जुलाई में लंदन में हाई कोर्ट द्वारा उन पर लगाए गए दिवालियापन के आदेश को उलटने की कोशिश में ब्रिटेन की अदालतों में अपील कर रहे हैं। सोमवार को लंदन में हाई कोर्ट के चांसरी डिवीजन में एक मामले के प्रबंधन की सुनवाई में न्यायमूर्ति टॉम लीच ने निष्कर्ष निकाला कि मामले में एक दूसरे से जुड़ी सुनवाई के एक सेट को एक साथ सुना जाएगा।
मामले में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व में भारतीय बैंकों का एक संघ शामिल है, जो अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस पर लगभग 1.05 बिलियन ग्रेट ब्रिटेन पाउंड के ऋण की अदायगी की मांग कर रहा है, अब इसके अगले साल सुनवाई में आने की संभावना है। धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में भारत में अलग से वांछित 66 वर्षीय व्यवसायी माल्या ब्रिटेन में जमानत पर रहता है।
इस बीच उनके वकीलों ने तर्क दिया है कि भारतीय बैंक भारत और यूके दोनों में उनके खिलाफ समान ऋण का मामला बना रहे हैं। इस हफ्ते अदालत को बताया गया कि दिवालियापन की कार्यवाही ने माल्या की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है और भारत में पहले से ही जब्त की गई संपत्ति हिसाब रखने में विफल रहा है। माल्या के दिवालियापन आदेश अपील और याचिका संशोधन अपील के अलावा बैंकों ने उनकी कुछ संपत्तियों पर रखी गई सुरक्षा को लेकर मई 2020 के आदेश के कुछ हिस्सों के खिलाफ अपील की है।
लॉ फर्म टीएलटी एलएलपी और बैरिस्टर मार्सिया शेकरडेमियन द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए भारतीय बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉर्पोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनेंशियल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
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