नई दिल्ली। भारत (India) में महात्मा विदुर (Mahatma Vidur) और चाणक्य दो ऐसे महान राजनीतिज्ञ हुए हैं. जिन्होंने देश, समाज , परिवार और धन से जुड़ी कई ऐसी बातें बताई, जो सैकड़ों साल आज भी उतनी ही प्रांसंगिक है. महात्मा विदुर महाभारत काल में हस्तिनापुर के महामंत्री थे. वे एक दूरदर्शी और बुद्धिमान(visionary and intelligent) व्यक्ति थे. उन्होंने महाभारत के युद्ध को टालने के लिए अनेक प्रयास किए लेकिन दुर्योधन (Duryodhana) अपनी जिद पर अड़ा रहा, जिसके चलते देश को इतना बड़ा युद्ध देखना पड़ा. महात्मा विदुर ने अपनी विदुर नीति में कहा है कि 3 प्रकार के लोगों को भूलकर भी धन नहीं देना चाहिए. ऐसे लोग धन लेने के बाद कभी वापस नहीं करते और आपका धन डूब जाता है. आइए जानते हैं कि इस प्रकार के लोग कौन होते हैं.
गैर-भरोसेमंद लोगों से बचकर रहें
महात्मा विदुर अपनी विदुर नीति (Vidur Niti) में कहते हैं कि जो लोग भरोसेमंद न हों, ऐसे लोगों को भूलकर भी धन उधार नहीं देना चाहिए. ऐसे लोगों से धन के वापस आने के चांस न के बराबर होते हैं. ऐसे लोगों की नीयत शुरू से ही गलत होती है. ये लोग अपने मित्र-रिश्तेदारों से एक-एक करके उधार लेते रहते हैं और देने के नाम पर विभिन्न बहाने करके टहलाते रहते हैं. ऐसे लोग रिश्ते-नाते खराब होने से भी संकोच नहीं करते.
आलसी व्यक्ति को उधार देने से बचें
महामंत्री विदुर (Mahatma Vidur) कहते हैं कि जो व्यक्ति कोई काम न करता हो, हर वक्त आलस में डूबा रहता हो. ऐसे लोगो को भूलकर भी पैसे उधार नहीं देने चाहिए. ऐसे लोग खुद कोई काम नहीं करते और परिवार के दूसरे लोगों पर आश्रित होते हैं, इसलिए उनकी कर्ज चुकाने की क्षमता भी बहुत कम होती है. ऐसे आलसी लोग एक बार जिससे पैसे उधार ले लेते हैं, उसे कभी वापस नहीं करते.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते है.)
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