इंदौर। अब सभी को 4 जून का इंतजार है। भाजपा ने जहां अपने प्रत्याशी के लिए दम लगाया तो कांग्रेस ने भी नोटा को लेकर प्रचार किया और बताया कि भाजपा के प्रत्याशी को हराने के लिए नोटा का बटन दबाया जाए, लेकिन नियमों के मुताबिक नोटा में कितने भी वोट पड़े, उसकी गणना का असर जीते हुए प्रत्याशी के अंतर पर नहीं पड़ेगा। उसकी जीत का आंकड़ा नजदीकी उम्मीदवार को मिले वोट के आधार पर ही निकाला जाएगा।
कांग्रेस हर विधानसभा से नोटा के अधिक से अधिक वोट आने का दावा कर रही है। कांग्रेस की कोशिश अंतिम समय तक यही रही कि वह भाजपा प्रत्याशी की लीड कम कर सके। चुनाव परिणाम आने के पहले ही लोगों ने जीते हुए प्रत्याशी के रूप में शंकर लालवानी को मान लिया और अब केवल जीत के अंतर का इंतजार है। जीत के अंतर में नोटा के वोट जरूर कट सकते हैं, क्योंकि ये किसी के खाते में नहीं जाते और न ही इन वोटों से किसी प्रत्याशी को मिले मत की तुलना की जाती है। लालवानी को अगर सबसे ज्यादा वोट मिलते भी हैं तो इसकी तुलना उनसे दूसरे नंबर पर रहे निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी के प्रत्याशी को मिले मत के आधार पर की जाएगी। इंदैौर में लालवानी सहित 14 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इनमें 5 राजनीतिक दलों के उम्मीदवार हैं और बाकी 9 उम्मीदवार निर्दलीय खड़े हुए हैं।
ऐसे समझें काउंटिंग का गणित
भाजपा के चुनाव मामलों के विशेषज्ञ मनोहर मेहता के अनुसार काउंटिंग तो 14 प्रत्याशी और एक नोटा को मिलाकर ही होगी, लेकिन जब जीत और हार का गणित निकाला जाएगा, तब नोटा के वोट अलग कर दिए जाएंगे। मान लीजिए कुल 100 प्रतिशत मतदान हुआ है और उसमें से 20 प्रतिशत मत नोटा को मिले हैं तो इन्हें गणना में शामिल नहीं किया जाएगा। यानी जो 80 प्रतिशत वोट बचे हैं, उसमें से ही काउंटिंग होगी और जिस प्रत्याशी को जितने वोट मिले हैं, उसी आधार पर चुनाव परिणाम की घोषणा की जाएगी। जो प्रत्याशी जीतेगा, उसकी जीत में नोटा के वोटों की संख्या न जोड़ते हुए नजदीकी प्रतिद्वंद्वी को मिले वोटों के आधार पर जीत का अंतर निकाला जाएगा।
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