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    विजय दिवस : भारत के इन हथियारों के बूते बुरी तरह से खाई थी पाकिस्‍तान ने कारगिल में मात

  • July 26, 2020

    नई दिल्ली । कागरिल के युद्ध को 21 साल का वक्त बीत चुका है और आज यानी कि 26 जुलाई को एक बार फिर भारतीय सेनाएं विजय दिवस के रूप में मना रही हैं। इस दिन के साथ कई यादें ताजा हो जाती हैं- कैसे पाकिस्तान ने भारत के इलाके में कब्जा किया और फिर कैसे भारत के बहादुर सैनिकों ने अपना खून बहाकर कारगिल की पहाड़ियों को फतह किया। इंसान के साथ ही इस अहम लड़ाई में मशीनों का भी बेहद अहम योगदान रहा था।

    भारत के कई हथियार ऐसे थे जिन्होंने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे और घुसपैठियों के पैर उखड़ गए थे। आइए एक नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ हथियारों पर जिन्होंने भारत की ओर से कारगिल की बाजी पलटने में अहम भूमिका निभाई।

    1. बोफोर्स तोप: जब भी कारगिल की लड़ाई की बात होती है तो यह नाम जरूर लिया जाता है। स्वीडन से खरीदे गए इस हथियार का ऑपरेशन विजय के समय पाकिस्तानी घुसपैठियों में सबसे ज्यादा खौफ देखने को मिला था। जब भारतीय सैनिक पहाड़ों पर कब्जे के लिए ऊपर चढ़ाई करते थे तो बोफोर्स तोपें लगातार चोटियों पर बमबारी करती रहती थीं और घुसपैठियों को कोई भी नापाक हरकत करने का मौका नहीं देती थीं।

    2. मिराज 2000: यह आम लोगों के बीच अब एक जाना पहचाना नाम है और पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक के बाद से ही यह लड़ाकू विमान लगातार सुर्खियों में रहा है। यह बेहद सटीकता से लक्ष्य पर बम गिराने के लिए जाना जाता है और कारगिल के समय भारतीय सेना की मदद के लिए एयरफोर्स की ओर से चलाए गए ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ में इस विमान ने सबसे अहम भूमिका निभाते हुए दुश्मन की नाक में दम कर दिया था।

    3. लेजर गाइडेड बम: आसमान की ऊंचाईयों पर मिराज 2000 अकेला नहीं था जिससे पाकिस्तानी घुसपैठिए खौफ खा रहे थे बल्कि विमान में लगे लेजर गाइडेड बम दुश्मन ठिकाने की तबाही की वजह बन रहे थे। कारगिल के समय ही मिराज को बेहद सटीकता से मार करने वाले इन बमों और लेजर पॉड से लैस किया था जो 1998 में एयरफोर्स के लिए बेहद कारगर साबित हुए।

    4. मिग-29 लड़ाकू विमान: इस विमान ने वायुसेना की ओर से कारगिल में बम गिराने में तो बहुत बढ़ चढ़कर भाग नहीं लिया लेकिन फिर भी इसकी तैनाती एक ऐसे काम के लिए की गई थी जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जब मिराज 2000 और अन्य विमान पहाड़ियों पर हमले कर रहे थे तो एक आशंका पाकिस्तानी वायुसेना के उन्हें रोकने और निशाना बनाने की भी थी। ऐसे में भारतीय वायुसेना के दो इंजन वाले मिग-29 ने आसमान की रखवाली की कमान संभाली थी और पाकिस्तानी एयरफोर्स अपने से कहीं ज्यादा घातक मिग-29 के चलते एलओसी पार नहीं करने के लिए मजबूर हो गई थी।

    5. इंसास, एसएएफ कार्बाइन और एके-47 राइफल: तोप और लड़ाकू विमान तो युद्ध में अहम होते ही हैं लेकिन सैनिकों के हाथ में जो हथियार होता है उसकी अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि असल में कारगिल के समय इन्हीं बहादुरों ने जमीन पर लड़ाई लड़कर चोटियों को दोबारा अपने कब्जे में लिया था। इस दौरान देश में ही बनी इंसास राइफल और एसएएफ कार्बाइन सब मशीन गन के साथ रूस की मशहूर एके-47 राइफल भारतीय सेना के वीरों की शोभा और लड़ाई के मैदान के साथी बने थे।

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