इंदौर (Indore)। अपना घर रक्षा समिति के जीतू कुशवाह, धीरज यादव, गोलू कश्यप, विजेन्द्र यादव एवं हरीश भाटिया के नेतृत्व में पिछले दिनों शासन द्वारा नियुक्त कलेक्टर द्वारा पानी की धाराओं को नदी बताते हुए तथा एनजीओ के निर्देशों का हवाला देकर धाराओं के दोनों ओर 100 फीट तक निर्माण हटाने के निर्देश जारी कर दिये के विरूद्ध पीडित नागरिकों ने राजवाडा पर मा अहिल्या को ज्ञापन भेंटकर शासन / प्रशासन को सद्बुद्धि हेतु निवेदन किया।
इंदौर शहर के लाखों नागरिक प्रशासन की उक्त कार्यवाही से पीडित होंगे जो अपनी रोजी-रोटी कमाकर अपने बालबच्चों का पालन कर रहे हैं। शहर के लाखों लोग जब इंदौर आये तथा उनका अपना ठिकाना नहीं था. ऐसे निर्धन और बेघर नागरिकों ने कड़ी मेहनत कर हमने यहां अपना घर, झोपडा, मकान, दुकान बनायी। कुछ लोगों को शासन / प्रशसान द्वारा वर्ष 1984 में झोपडी हेतु पट्टे दिये, कुछ को दंगो में मकान जल जाने पर गुरूनानक कालोनी के नाम पर सरकार द्वारा दी गई जमीन पर बसाया गया।
कुछ लोगों को वर्ष 1947 के विभाजन के समय विस्थापितों को काटजु कॉलोनी तथा जयरामपुर में भूमि प्रदान की गई जिस पर उनके द्वारा प्रचलित नियमों के अनुसार वैध आवासीय कॉलोनी का विकास किया गया तथा अनन्य कई लोग पीढ़ियों से निवास करते आ रहे हैं तथा कईयों के मकान तथा दुकान इंदौर से निकलने वाली पानी की विभिन्न धाराओं से पास में है। कई लोगों को नगर पालिक निगम इंदौर द्वारा इन धाराओं के किनारे मार्केट का विकास कर जैसे पंढरीनाथ, हरसिद्धी मार्केट, शिवाजी मार्केट, रिव्हर साईड रोड आदि स्थानों पर लाखों, करोडों रूपये की प्रीमियम लेकर दुकानें जिनका उनके द्वारा नियमित किराया भी अदा किया जा रहा है तथा अपना व्यवसाय एवं जीवनयापन कर रहे हैं। हमारे कई मकानों के लेआउट शासन द्वारा प्रचलित नियमों अनुसार स्वीकृत किये गये हैं।
शहर का हर नाग्रिक चाहता है कि इंदौर में बहने वाली विभिन्न धाराओं में साफ पानी बहे तथा इसमें बहने वाली ड्रेनेज के पानी से निजात मिले। नागरिक शासन द्वारा निर्धारित कर भर रहे हैं तथा अपनी जवाबदारी निभा रहे हैं। अब ड्रेनेज के पानी को नदी के पानी से दूर रखने एवं ट्रीटमेंट करने तथा व्यवस्था आदि करने का काम शासन प्रशासन का है।
माँ एनजीटी के उद्दश्यों में साफ लिखा है कि नदी या किसी पानी की धारा या बरसाती नाले / नदी के आसपास से किसी को भी हटाने पर उसकी संपत्ति का उचित मुआवजा दिया जावे। इंदौर में बहने वाली विभिन्न धाराएँ नदी की श्रेणी में नहीं आती है क्योंकि इनमें सिर्फ बारिश में पानी बहता है तथा फिलहाल इसमें ड्रेनेज का पानी बहता है। एनजीटी के निर्देश अनुसार बरसाती नदी के आसपास 9 मीटर तक निर्माण प्रतिबंधित है।
विस्थापित किये जाने वाले लोगों के लिए मुआवजे हेतु राशि के प्रबंध तथा व्यवस्थापन का प्लान भी नहीं बनाया गया है तथा न ही बरसाती नदी का सीमांकन पीडित लोगों की उपस्थिति में किया गया। कलेक्टर द्वारा सिर्फ गरीब, वेबस, पिछड़ों के कच्चे मकान तोड़ने के आदेश जारी किये जबकि शासन की कई बिल्डिंगे नदी किनारे बनी हुई है। उदाहरण के लिए आईडीए की पुरानी बिल्डिंग जवाहर मार्ग पर, तथा एनजीटी के आदेश के बावजूद जवाहर मार्ग पर नदी के उपर ही पार्किंग हेतु बिल्डिंग का निर्माण किया गया है और रिव्हर साईड कारीडोर पर तो अभी भी निर्माण चल रहा है।
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