नई दिल्ली (New Delhi) । खालिस्तान समर्थक (pro khalistan) और ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के चीफ अमृतपाल सिंह (Chief Amritpal Singh) के पंजाब में होने की संभावना है. अमृतपाल के पंजाब में होने के दावे के बाद पंजाब पुलिस होशियारपुर (Hoshiarpur) में सर्च ऑपरेशन चला रही है. बताया जा रहा है कि अमृतपाल पंजाब पुलिस (Punjab Police) को एक बार फिर चकमा देने में कामयाब हो गया. इस बीच अमृतपाल सिंह का प्लान भी सामने आया है.
सूत्रों का कहना है कि अमृतपाल सिंह एक इंटरनेशनल चैनल को इंटरव्यू देने के लिए जालंधर वापस जा रहा था. उसका प्लान था कि वह पहले इस पूरे मामले को लेकर बयान देगा और फिर पंजाब पुलिस के सामने सरेंडर कर देगा, लेकिन पुलिस को इसकी जानकारी हो गई और उसका प्लान धरा ही रह गया.
पंजाब पुलिस की इंटेलिजेंस यूनिट अमृतपाल की पंजाब नंबर की इनोवा गाड़ी (PB 10 CK 0527) का फगवाड़ा से ही पीछा कर रही थी. ड्राइवर ने गाड़ी भगाकर होशियारपुर ज़िले के गांव मरनाईया के गुरुद्वारे में घुसा दी. उसके बाद गाड़ी को चालू हालत में छोड़कर गाड़ी में सवार दोनों संदिग्ध दीवार कूदकर भाग गए. हालांकि इस तरह गाड़ी को छोड़कर भागने वाले कौन थे, कोई भी नहीं देख पाया. अमृतपाल होशियारपुर (Hoshiarpur) में एक बार फिर चकमा देकर पुलिस नाका तोड़ भाग गया. उसके साथ उसका सहयोगी पप्पलप्रीत और एक सहयोगी भी भागा है. फिलहाल पंजाब पुलिस की टीमों ने आस-पास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है.
इनोवा गाड़ी से फरार होने वाला अमृतपाल ही था
इससे पहले पंजाब पुलिस ने होशियारपुर में अमृतपाल की गाड़ी के पीछे चलने वाले दो लोगों को हिरासत में लिया था. उन्होंने पुलिस पूछताछ में कंफर्म किया कि इनोवा गाड़ी से फरार हुआ शख्स अमृतपाल ही थी. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अमृतपाल के साथ पप्पलप्रीत और तीसरा शख्स भी मौजूद था.
लखीमपुर खीरी में ही छिपा था अमृतपाल!
इसके साथ ही एक मीडिया की एक और खबर पर मोहर लगी है. मीडिया ने खुलासा किया था कि अमृतपाल यूपी के लखीमपुर खीरी में छिपा हुआ था. पंजाब पुलिस ने जिन दो लोगों को हिरासत में लिया था, पंजाबी मूल के दोनों शख्स लखीमपुर खीरी के रहने वाले हैं. ये पंजाब में अमृतपाल की गाड़ी के पीछे-पीछे चल रहे थे. वहीं अब पता चला है कि अमृतपाल और पप्पलप्रीत के साथ तीसरा शख्स भी मौजूद था. पंजाब पुलिस को देखकर तीनों इनोवा गाड़ी को छोड़कर भाग गए.
18 मार्च से पुलिस ने शुरू की कार्रवाई
बता दें कि 18 मार्च को अमृतपाल को गिरफ्तार करने की तैयारी थी. पुलिस की भारी फोर्स उसे पकड़ने वाली थी. लेकिन तब अमृतपाल ने बड़ी ही चालाकी से पुलिस को चकमा दिया और अपने साथियों के साथ वहां से फरार हो गया. उसने लगातार गाड़ियां बदलीं, बाइक की सवारी की और देखते ही देखते गायब हो गया. अब पिछले कई दिनों से पंजाब पुलिस उसकी तलाश में लगी हुई है. पुलिस के हाथ तो खाली हैं लेकिन आजतक को जानकारी मिली है कि अमृतपाल पंजाब में ही कहीं छिपा हुआ है.
फिलहाल पंजाब पुलिस का होशियारपुर इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है. पुलिस पूरी तरह तैयार है और किसी भी वक्त बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया जा सकता है. इस समय पंजाब पुलिस पर अमृतपाल को पकड़ने को लेकर जबरदस्त दबाव है. कोर्ट से भी फटकार पड़ चुकी है और विपक्ष द्वारा भी लगातार इस मुद्दे को उठाया जा रहा है. ऐसे में पिछले कुछ दिनों के अंदर ही इस मामले में ज्यादा तूल पकड़ लिया है.
सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोपेगेंडा
मीडिया की जांच में सामने आ चुका है कि अमृतपाल के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक फर्जी प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है. फर्जी फॉलोअर्स के जरिए ट्वीट करवाए जा रहे हैं, हैशटैग ट्रेंड हो रहे हैं और दिखाने का प्रयास है कि खालिस्तान की मुहिम को समर्थन मिल रहा है. लेकिन अब जब अमृतपाल की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं, उस स्थिति में ये नेटेरिव भी ठंडा पड़ सकता है.
कौन है अमृतपाल सिंह?
अमृतपाल 2012 में दुबई में रहने चला गया था. वहां उसने ट्रांसपोर्ट का कारोबार किया. उसके ज्यादातर रिश्तेदार दुबई में रहते हैं. अमृतपाल ने 12वीं तक पढ़ाई की है. अमृतपाल का नाम पिछले साल पंजाब के शिवसेना नेता सुधीर सूरी हत्याकांड में भी सामने आया था. उसके बाद पुलिस ने अमृतपाल सिंह को मोगा के गांव सिंगावाला में नजरबंद कर दिया था. उसने 10 फरवरी को पैतृक गांव जल्लूपुर खेड़ा में एक सादे समारोह में ब्रिटेन की रहने वाली एनआरआई लड़की किरणदीप कौर के साथ शादी की है. किरणदीप का परिवार मूलत: जालंधर के कुलारां गांव का है. कुछ समय पहले परिवार इंग्लैंड में बस गया था.
दीप सिद्धू के संगठन पर किया कब्जा
इसके साथ ही दुबई से लौटने के बाद अमृतपाल ने दीप सिद्धू के संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ पर कब्जा किया था. दरअसल उसने ऐसे ही मिलते-जुलते नाम से एक संगठन पुरानी तारीख में जाकर रजिस्टर्ड कराया था. उसके बाद दीप सिद्धू के सोशल मीडिया पेज के जरिए उसका प्रचार किया. पूछताछ के दौरान, गुरमीत बुक्कनवाला ने दावा किया कि अमृतपाल ने संगठन बहुत बाद में बनाया गया था और मोगा जिले से इसे रजिस्ट्रेशन करने के लिए कुछ संपर्कों का इस्तेमाल किया गया था.
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