नई दिल्ली. स्वाति मालीवाल (swati maliwal) के साथ सीएम हाउस (cm house) में हुई मारपीट के मामले में आरोपी विभव कुमार (vibhav kumar) के पिता महेश्वर राय (maheshwar rai) का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा,’यह अन्याय है. उनका बेटा पिछले 15 सालों से मुख्यमंत्री (cm) अरविंद केजरीवाल (arvind kejriwal) के साथ है. तब से उन्होंने विभव के खिलाफ कभी कोई शिकायत नहीं सुनी है. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी (bjp) विभव को अरविंद केजरीवाल का साथ छोड़ने की सलाह दे रही है.’
क्यों गुस्सा हो गई थीं स्वाति?
विभव के पिता ने बताया,’गार्ड ने स्वाति से सिर्फ इतना कहा था कि वह विभव से पूछे बिना स्वाति को केजरीवाल से मिलने नहीं देगा. यह सुनकर, वह क्रोधित हो गई और उसे धमकी दी. उन्होंने यह भी बताया कि विभव ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई की थी. तब, वह वहां (दिल्ली में) पत्रकारिता का अभ्यास करते थे.’ विभव कुमार बिहार के खुडरू गांव के रहने वाले हैं. गांव के पूर्व ग्राम प्रधान लाल साहब यादव ने बताया कि विभव एक सामाजिक परिवार से है. अगर आज चुनाव नहीं हुए होते तो ऐसा कुछ नहीं होता.
तीस हजारी कोर्ट ने कस्टडी में भेजा
बता दें कि आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट करने के आरोपी विभव कुमार को तीस हजारी कोर्ट ने पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. उन्हें शनिवार दोपहर को हिरासत में लिया गया था. इसके बाद सिविल लाइन पुलिस स्टेशन में पूछताछ के बाद शाम 4.15 बजे अरेस्ट कर लिया गया. तीस हजारी कोर्ट में उन्होंने अंतरिम जमानत याचिका भी दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था.
फोन फॉर्मेट करने का संगीन आरोप
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा कि विभव के फोन को मुंबई में फॉर्मेट किया गया है. फोन फॉर्मेट करने से पहले डाटा क्लोन किया जाता है. इसलिए विभव को मुंबई लेकर जाना होगा. पुलिस ने कहा कि उन्होंने अभी तक अपने फोन का पासवर्ड भी नहीं दिया है, इसलिए मोबाइल ओपन करने के लिए एक्सपर्ट को देना होगा. बिना विभव की मौजूदगी के यह संभव ही नहीं है. महिला सांसद को पीटने की क्या वजह थी, यह पता लगाने के लिए भी हिरासत जरूरी है.
अंतरिम जमानत याचिका कोर्ट में खारिज
इससे पहले तीस हजारी कोर्ट में विभव की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील अनुज त्यागी ने कहा कि एडिशनल पब्लिक प्रासीक्यूटर ने बताया कि विभव को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. ऐसे में उनकी अंतरिम जमानत पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है. विभव के वकील एन हरिहरन ने कहा कि उनके मुवक्किल को गिरफ्तारी से पहले सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस नहीं दिया गया था.
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