नई दिल्ली। चीन में कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन (lockdown) का दौर जारी है। ऐसे में अमेरिकी दिग्गज कंपनी ऐपल (Apple) को जोरदार नुकसान उठाना पड़ा है। आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जून के दौरान कंपनी ने 8 बिलियन डॉलर (61,000 करोड़ रुपये) के नुकसान का अनुमान जताया है। बता दें कि चीन के सबसे बड़े शहरों में से एक शंघाई में पिछले 2 माह से लॉकडाउन लगा है। साथ ही चीन के कई अन्य बड़े शहरों में कोविड प्रतिबंध जारी है। ऐसे में ऐपल प्रोडक्ट की डिमांड में कमी दर्ज की जा रही है। अब माना जा रहा है कि यह कंपनी धीरे धीरे अपना करोबार भी समेटने पर विचार कर सकती है।
बता दें कि कोविड-19 को लेकर अभी चीन में कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। इस बीच अब मशहूर कंपनी Apple Inc ने चीन के बाहर व्यापार करने की बात कही है। ‘The Wall Street Journal’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने अपने कुछ अनुबंध निर्माताओं से कहा है कि वो चीन से बाहर अपना उत्पादन बढ़ाना चाहता है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी इसके लिए भारत और वियतनाम जैसे देशों का रुख कर सकती है।
यूएस की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार ऐपल ने ऐसा फैसला क्यों लिया? इसको लेकर दो अहम बातें कही जा रही हैं। दरअसल रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में चीन अप्रत्यक्ष तौर से रूस की मदद कर रहा है। जिसके बाद कई पश्चिमी कंपनियां चीन पर अपने उत्पादन की निर्भरता को कम करना चाहती हैं। इसके अलावा चीन में कोविड-19 को देखते हुए कई शहरों में प्रतिबंध लगाए गए हैं, इसकी वजह से भी इन कंपनियों को नुकसान हो रहा है।
कंपनी से जुड़े जानकारों के मुताबिक, ऐपल के 90 फीसदी आईफोन, आईपैड और मैकबुक लैपटॉप चीन में बनाए जाते हैं। अप्रैल में ऐपल की सप्लाई चेन से जुड़ी चुनौतियों को लेकर कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर टीम कुक ने कहा कि ‘हमारा सप्लाई चेन सही में ग्लोबल है, और यहीं वजह है कि हमारे प्रोडक्ट सभी जगह पर बनाए जाते हैं। हम लगातार इसे बढ़ाने की दिशा में देखते हैं।’
चीन में कोरोना से जुड़े नियमों को देखते हुए शंघाई और अन्य शहरों में लॉकडाउन लगाए गए हैं। जिसकी वजह से कई कंपनियों की सप्लाई चेन पर असर पड़ा है। चीन में जारी प्रतिबंधों की वजह से Apple Inc जैसी बड़ी कंपनी अपने एग्जीक्यूटिव और इंजीनियरों को पिछले 2 सालों से वहां भेज नहीं पा रही है। इसका मतलब यह हुआ कि कंपनी, चीन में प्रोडक्शन साइट्स के बारे में सही जानकारी नहीं जुटा पा रही है।
जबकि कंपनी चीन के बाद भारत की तरफ अब उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। दरअसल दोनों देशों की जनसंख्या करीब-करीब बराबर है और दोनों ही देश ऐपल को कम दाम ऑफर भी करते हैं। इस मामले की जानकारी रखने वालों के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐपल कंपनी भारत में अपना उत्पादन और व्यापार बढ़ाने को लेकर अपने कुछ सप्लायर्स से विचार-विमर्श भी कर रही है।
भारत ने पिछले साल दुनिया की 3.1 फीसदी आईफोन बनाए और इस साल इस लक्ष्य को 6 से 7 प्रतिशत का रखा गया है। कुछ जानकारों और सप्लायर्स के मुताबिक, चीन-आधारित कुछ असेम्बलरों को अपनी दुकानें भारत में बैठाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नई दिल्ली और बीजिंग के बीच रिश्ते पिछले समय से तल्ख हैं।
विदित हो कि साल 2020 में सीमा पर दोनों देशों के बीच हुई तनातनी के बाद दोनों देशों के बीच आई तल्खी लगातार कायम है। यही वजह है कि ऐपल के साथ व्यापार कर रहे कुछ चीन-आधारित निर्माणकर्ता वियतनाम और कुछ अन्य साउथईस्ट एशियन देशों की तरफ भी रूख कर सकते हैं। एक बात यह भी है कि वियतनाम में ऐपल की प्रतिद्वंद्वी कंपनी सैमसंग की मौजूदगी काफी पहले समय से ही और इस कंपनी का यहां व्यापार भी काफी बड़ा है।
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