इंदौर। इंदौर-खलघाट हाईवे के गणेश घाट पर बनाए गए नए बायपास को भले ही वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया हो, लेकिन कई वाहन चालक अभी भी पुराने ढलानवाले रास्ते से जानबूझकर जा रहे हैं। नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) ने पहले वाहनों को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए थे, जो वाहनचालकों ने ही हटा डाले। अब पुराने रास्ते पर हाइट गेज लगाने की तैयारी हो रही है। पिछले महीने इंदौर से खलघाट जाने वाले वाहनों के लिए नए सुरक्षित बायपास का लोकार्पण जनप्रतिनिधियों ने किया था।
106 करोड़ रुपए की लागत वाला यह बायपास 8.80 किलोमीटर लंबा है। पुराना रास्ता अत्यधिक ढलान वाला था, जिससे घाट उतरते वक्त वाहन एक-दूसरे से भिड़ जाते थे। नया बायपास बनने से ये झंझट तो खत्म हो गई है, लेकिन एक नई समस्या सामने आ गई। कई वाहन चालक अभी भी नए सुरक्षित बायपास के बजाय पुराने ढलान वाले रास्ते से खलघाट की ओर जा रहे हैं। पहले एनएचएआई ने वाहनों को रोकने के लिए बैरिकेड-ड्रम लगा दिए, लेकिन कुछ चालकों ने उन्हें हटा दिया और बेधडक़ पुराने रास्ते पर जाने लगे। इसकी जानकारी एनएचएआई अफसरों को मिली, तो उनका भी माथा ठनक गया।
एक-दो दिन में लग जाएगा हाइट गेज
एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल ने माना कि गणेश घाट के पुराने ढलानवाले रास्ते का कई वाहन चालक अभी भी उपयोग कर रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बरकरार है। उन्होंने बताया कि एक-दो दिन में हाइट गेज लगाकर वाहनों की आवाजाही रोकी जाएगी, ताकि ट्रक, ट्रॉले, टैंकर और लॉरी आदि वाहन पुराने रास्ते पर दाखिल न हो सकें। पुराने रास्ते का उपयोग खलघाट से इंदौर आने वाले वाहनों द्वारा ही किया जाएगा।
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