बैंक खातों, पीएफ आदि की तरह आप अपनी कार और बाइक के लिए भी परिवार के किसी सदस्य को नॉमिनी बना सकते हैं. हाल में सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स (Central Motor Vehicles Rules) में हुए बदलाव से यह सुविधा मिल गई है. पहले स्थिति यह थी कि अगर किसी कार मालिक की किन्हीं दुखद परिस्थितियों में मौत हो जाती थी, तो उस कार की ओनरशिप ट्रांसफर करने में परिवार के सदस्यों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. कार या बाइक का मालिकाना हक कानूनी वारिस को ही ट्रांसफर (Transfer) हो सकता है, इसलिए इसके लिए कई तरह के ऑफिसेज के चक्कर लगाने होते थे.
वाहन मालिक किसी भी व्यक्ति को नॉमिनी बना सकता है
इसके मुताबिक अब कोई भी वाहन मालिक अपने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (Registration certificate) में किसी भी व्यक्ति को नॉमिनी बना सकता है. अगर व्हीकल के ओनर की मौत हो जाती है तो उसके बाद नॉमिनी आसानी से गाड़ी की ओनरशिप अपने नाम पर ट्रांसफर करा सकता है. गाड़ी मालिक कार को खरीदते समय या खरीदने के बाद कभी भी नॉमिनी बना सकता है. हालांकि जिस व्यक्ति को नॉमिनी बनाना है उसका आइडेंडिटी प्रूफ (Identity proof) देना होगा.
नॉमिनी में बदलाव भी संभव
गाड़ी मालिक की मौत पर उसके नॉमिनी को 30 दिन के भीतर आरटीओ को इसकी जानकारी देनी होगी. यह जानकारी देते ही तीन महीने के लिए तत्काल नॉमिनी उस गाड़ी का अस्थायी ओनर मान लिया जाएगा. ओनर की मौत के बाद तीन महीने के भीतर नॉमिनी को एक Form 31 जमा करना होगा.
यही नहीं, ओनर कई मामलों में अपने नॉमिनी में बदलाव भी कर सकता है जैसे यदि पति या पत्नी से तलाक हो गया हो, प्रॉपर्टी के बंटवारे आदि की स्थिति में.
बकाए का भुगतान करना होगा
कार लोन का क्या होगा: नियम के मुताबिक यदि किसी कार पर व्हीकल लोन बकाया है, तो नॉमिनी को पहले उस बकाए का भुगतान करना होगा. अब यह भुगतान एकमुश्त होगा या ईएमआई के रूप में, यह लोन देने वाला बैंक तय करेगा. बैंक या अन्य कर्जदाता के नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के बाद ही ओनरशिप का ट्रांसफर किया जाएगा.
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