इंदौर। उज्जैन में पहली बार लगे वाहन मेले के कारण इंदौर सहित आसपास के जिलों में वाहनों की बिक्री में 70 से 80 प्रतिशत की गिरावट आई है। 1 मार्च से शुरू हुए वाहन मेले में वाहनों के टैक्स में 50 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। इसी छूट का लाभ लेने के लिए इंदौर सहित पूरे प्रदेश से लोग वाहन खरीदने उज्जैन पहुंच रहे हैं, जिससे सभी जिलों में वाहनों की बिक्री घट गई है। इससे जिलों को वाहनों की बिक्री से मिलने वाले राजस्व में भी कमी आई है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा पहली बार ग्वालियर की तरह उज्जैन में भी वाहन मेला लगाने और यहां वाहनों के टैक्स में 50 प्रतिशत छूट दिए जाने की घोषणा की थी। परिवहन विभाग ने इसके मुताबिक व्यवस्था भी की है। वाहनों पर टैक्स में छूट का लाभ उठाने के लिए बड़ी संख्या में लोग नए वाहन खरीदने के लिए उज्जैन का रुख कर रहे हैं, जिससे इंदौर में वाहनों की बिक्री में पहली बार भारी गिरावट देखने को मिल रही है। सबसे ज्यादा असर कारों में देखने को मिल रहा है, क्योंकि जितनी महंगी गाड़ी उतनी ज्यादा टैक्स की छूट।
इंदौर के डीलर्स ने लगाए स्टॉल्स
मेले के नियमों के तहत पूरे प्रदेश के वाहन डीलर्स मेले में अपने स्टॉल्स लगाकर वाहनों की बिक्री कर सकते हैं। इसे देखते हुए पूरे प्रदेश के वाहन डीलर्स उज्जैन पहुंचे हैं। इनमें सबसे ज्यादा डीलर्स इंदौर के ही हैं। इसके कारण इंदौर में वाहनों की बिक्री भले ही कम हुई हो, लेकिन इंदौर के डीलर्स को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा है और वे उज्जैन से गाडिय़ां बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं।
टारगेट से पिछड़ रहा इंदौर
वाहनों की बिक्री के दौरान मिलने वाला टैक्स जिला परिवहन कार्यालय के आय का प्रमुख स्त्रोत होता है, लेकिन वाहनों की बिक्री कम हो जाने से जिलों का राजस्व भी कम हुआ है। सबसे ज्यादा प्रभाव इंदौर पर ही पड़ा है। इंदौर को इस वित्तीय वर्ष में राजस्व वसूली के लिए 931 करोड़ का टारगेट मिला था। फरवरी तक इंदौर में 822 करोड़ की वसूली हो चुकी थी, लेकिन 20 दिनों में इंदौर के खाते में सिर्फ 28 करोड़ आए हैं और आंकड़ा 850 करोड़ तक पहुंचा है, जिसके कारण इंदौर अपना टारगेट पूरा नहीं कर पाएगा, वहीं उज्जैन टारगेट में आगे निकल रहा है। हालांकि बात पिछले साल से करें तो पिछले साल इंदौर ने 809 करोड़ की वसूली की थी, उसकी अपेक्षा इंदौर आगे है।
मेले के कारण घटी वाहनों की बिक्री
उज्जैन में वाहन मेले में टैक्स पर 50 प्रतिशत की छूट होने से इंदौर में वाहनों की बिक्री काफी कम हो गई है। दो पहिया में 30 से 40 प्रतिशत और चार पहिया में 70 से 80 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इसके कारण राजस्व में भी कमी आई है और इंदौर टारगेट से पिछड़ रहा है। हालांकि वाहन खरीदने वालों को इससे काफी लाभ हो रहा है।
– प्रदीप शर्मा, आरटीओ इंदौर
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