उज्जैन। तबादला होकर यहाँ अधिकारी आते हैं और शहर की व्यवस्थाओं से परिचित न होने के कारण मनमाने निर्माण के आदेश दे देते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि बिल्डिंगे खड़ी हो जाती है और उनका उपयोग नहीं होता। नौकरशाही की इन्हीं अक्षमताओं का जीता जागता उदाहरण है जिला पंचायत का हाट बाजार। सिंहस्थ 2016 के पूर्व नीलगंगा क्षेत्र में पाँच करोड़ खर्च कर तैयार किए गए हाट की दुकानों के आवंटन हेतु जिला पंचायत ने पूर्व में टेंडर जारी किए थे, इसके बावजूद दुकानें लेने कोई व्यापारिक नहीं आया। संभागीय हाट बाजार को हस्तशिल्प, स्व-सहायता समूह की सालभर दुकान लगने के लिए बनाया था, फिलहाल यह 5 सालों से सूना पड़ा है।
उल्लेखनीय है कि हस्तशिल्प व स्वयं सेवी संस्थाओं की ओर से बनाए जाने वाली सामग्री को प्रोत्साहन और बाजार उपलब्ध कराने के लिए तथा इनके लिए एक स्थायी बाजार की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए बनाए गए संभागीय हाट से व्यापारियों ने ही मुँह मोड़ लिया है। हाट में स्थायी दुकानें संचालित करने के लिए जिला पंचायत ने तीन साल पहले टेंडर निकाले, लेकिन एक भी व्यापारी ने इसमें रुचि नहीं ली थी। तब व्यापारियों का कहना है कि हाट एक तरफ बनाया गया है, जहाँ लोग खरीदारी करने नहीं आते हैं। लिहाजा हाट सिर्फ शो-पीस बनकर रह गया है और इक्का-दुक्का कार्यक्रम ही आयोजित होते रहे हैं। जिला पंचायत ने सिंहस्थ से पहले 5 करोड़ रुपए खर्च कर नीलगंगा क्षेत्र में संभागीय हाट बनाया था। यहाँ दुकानों के साथ आकर्षक डेकोरेटिंग व्यवस्था की गई थी। इसे बनाने का उद्देश्य था कि हस्तशिल्प मेले, स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा बनाए गए सामान व स्थानीय कलाकृति के लिए एक बाजार उपलब्ध हो, जहाँ शहरवासी सहित बाहर से आने वाले यात्री भी खरीदारी कर सके। बीते 4 सालों में यह हाट सुचारु रूप से संचालित ही नहीं हो पाया है। करीब डेढ़ साले पहले जिला पंचायत ने बाजार में नियमिति दुकानें खुलने के लिए यहाँ की 30 दुकानों को किराए पर देने के लिए टेंडर निकाले थे। स्थिति यह रही कि एक भी दुकान के लिए टेंडर नहीं आया। अधिकारियों ने जब मामले में पड़ताल की तो व्यापारियों का कहना था हाट व्यापारिक क्षेत्र में नहीं है, यहाँ लोग खरीदारी के लिए नहीं आते हैं।
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