नई दिल्ली। दक्षिण भारत (South India) में वट पूर्णिमा के व्रत (Vat Purnima Vrat 2022) का बहुत अधिक महत्व है. यह व्रत 14 जून दिन मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं अपने पति के उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए बरगद के वृक्ष से प्रार्थना करती हैं. उत्तर भारत में इसे वट सावित्री व्रत(Savitri Vrat) के नाम से जाना जाता है. इसमें भी सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं. इस पेड़ के ऊपर त्रिदेवों का वास बताया गया है. ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देव इसी पेड़ पर रहते हैं.
प्रातः काल से लेकर संध्या तक इस वृक्ष पर माता लक्ष्मी (mata lakshmi) का वास बताया गया है. बरगद के वृक्ष की पूजा करने पर माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन संबंधी हर एक परेशानी दूर हो जाती है. पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए की जाने वाली पूजा बहुत ही संयम और संकल्प से पूरी होती है.
वट पूर्णिमा व्रत पूजा विधि (Vat Purnima Vrat 2022 Puja Vidhi)
वट पूर्णिमा का व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह सुबह स्नान करके अपनी टोकरी में सुहाग का सारा सामान लेकर वटवृक्ष के पास एकत्र होती हैं. वट वृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत लपेटकर, जल चढ़ाकर, हल्दी, कुमकुम, रोली का बरगद के वृक्ष को चंदन लगाकर, विधिवत पूजा अर्चना करती हैं. और अपने पति के लंबी उम्र की प्रार्थना करती है. इस समय महिलाएं सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं. और पूजा आरती के उपरांत अपनी सास को बायना भी देती हैं. इससे उन्हें सौभाग्यवती और पुत्रवती होने का वरदान प्राप्त होता है.
बरगद वृक्ष का महत्व
बरगद के वृक्ष को सभी वृक्षों में श्रेष्ठ माना जाता है. क्योंकि यह अन्य वृक्षों से अधिक ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है और पर्यावरण के लिए बहुत अधिक लाभकारी होता है. इसका वैज्ञानिक महत्व होने की वजह से भी इस पेड़ को पूजा जाता है.
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं हम इसकी जांच का दावा नही करते हैं. इन्हे अपनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
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