आज वसंत पूर्णिमा है। हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को यह पूर्णिमा पड़ती है। हिंदू धर्म में वसंत पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आज के दिन भक्त व्रत करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वसंत पूर्णिमा के दिन जो जातक व्रत करता है पूजा-पाठ करता है उसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। साथ ही जातक को अच्छे स्वास्थ्य, भाग्य और दीर्घायु मिलता है। वसंत पूर्णिमा से ही होली की शुरुआत मानी जाती है। कई जगहों पर आज फसलों को कटाई भी की जाएगी। आज भक्त भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करेंगे। आज भगवान विष्णु के मंदिरों को फूल-मालाओं से सजाया जाएगा। वसंत पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और कथा जानें…
वसंत पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त:
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 28 मार्च, 2021, रविवार को प्रात: 03 बजकर 27 मिनट से।
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 29 मार्च, 2021, सोमवार को रात 12 बजकर 17 मिनट पर।
बसंत पूर्णिमा की कथा (Basant Purnima Story)
एक बार राजा दक्ष की सभा में राजा दक्ष के आने पर भगवान शिव खड़े नही हुए। जिससे राजा दक्ष को अत्याधिक क्रोध आ गया । जिसके बाद उन्होने एक यज्ञ आयोजित किया पर उन्होने भगवान शिव को नहीं बुलाया माता सती जब रोहणी को चंद्रमा के साथ विमान में जाते देखा तब रोहणी के द्वारा यह बात पता चली की उनके पिता ने एक यज्ञ आयोजित किया है। जिसमें उन्होंने भगवान शिव को नही बुलाया तो वह क्रोधित होकर यज्ञ में पहुची और भगवान शिव का अपमान सुनकर उन्होने यज्ञ की अग्नि में खुद को भस्म कर लिया।
भगवान शिव को यह बात पता लगी तो उन्होने राजा दक्ष का सर काट कर अग्नि में भस्म कर दिया और माता सती के शव के कंधे में लेके घूमने लगें तब भगवान विष्णु ने माता सती के शव के टुकड़े कर दिए और वो टुकड़े 51 शक्तिपीठ के रुप में प्रसिद् हुए।इसके बाद भगवान शिव ने प्रतीज्ञा ली वह विवाह नही करेंगे।समय बीतता गया एक दिन माता पर्वती कैलाश में पहुंच गई देवताओं की प्रार्थना पर कामदेव और रती कैलाश में भगवान शिव की तपस्या भंग करने पहुंचे।
कामदेव ने धनुष में बाण चढ़ाया और वह बाण भगवान शिव को लग गया। जिससे भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई और भगवान शिव ने क्रोधित होकर कामदेव को भस्म कर दिया। विरह में रती विलाप करने लगी तब भगवान शिव ने कहा जब मेरा विवाह पर्वती के साथ होगा।उस बसंत पूर्णिमा के दिन कामदेव जीवित हो जाएगा और बसंत पूर्णिमा दिन कामदेव जीवित हो गए।
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