लखनऊ (Lucknow) । कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Congress MP Rahul Gandhi) के बयान के बाद भाजपा सांसद वरुण गांधी (BJP MP Varun Gandhi) के रुख पर कयास लगाए जाने लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा में वरुण सहज नहीं हैं और वरुण के साथ कांग्रेस कभी सहज नहीं हो सकती है, इसलिए उन्हें कोई तीसरा रास्ता ही अख्तियार करना पड़ सकता है।
राहुल ने वरुण के कांग्रेस में आने के सवाल पर कहा है कि उनकी और वरुण की विचारधारा अलग-अलग है। इस बयान के बाद माना जा रहा है कि वरुण के कांग्रेस के साथ आने की अटकलों पर विराम लग गया है। वरुण के भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ लगातार आ रहे बयानों के चलते यह अटकलें शुरू हुई थीं। लेकिन, राहुल की ओर से जवाब आने के बाद वरुण के अगले कदम को लेकर चर्चा भी शुरू हो गई है।
वरुण अपने हिंदूवादी विचारों के लिए भी पहचाने जाते हैं। वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान उनका एक बयान बहुत सुर्खियों में रहा, जिसमें उन्होंने कहा था कि जो हाथ तुम्हारी (हिंदुओं) तरफ उठेंगे, उनको काट दिया जाए। उनके खिलाफ तब कार्रवाई तो हुई, पर वह भारी मतों से जीतकर संसद पहुंचे। बीएचयू के राजनीति शास्त्र के प्रो. कौशल किशोर शर्मा मानते हैं कि वरुण की परवरिश संघ परिवार की विचारधारा में हुई है।
संघ परिवार ने ही उन्हें आगे बढ़ने का मौका दिया। साथ ही जनता के बीच वरुण की एक खास छवि भी बनी। उनकी इस छवि के साथ कांग्रेस का गांधी परिवार राजनीतिक रूप से कभी भी सहज नहीं रह सकता। फिर राहुल यह भी नहीं भूलेंगे कि वरुण, संजय गांधी केपुत्र हैं, जो अपने जीवन काल में इंदिरा गांधी के बाद कांग्रेस के दूसरे सर्वमान्य नेता माने जाते थे। वरुण कभी भी राहुल के राजनीतिक कद के लिए खतरा बन सकते हैं, जिसके अनेक उदाहरण राजनीति में देखने को मिलते हैं। इसलिए राहुल का उनके बारे में दिया गया बयान इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।
इस मुद्दे पर दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. लक्ष्मण कहते हैं कि आज की राजनीति में व्यक्ति से ज्यादा उसकी छवि महत्वपूर्ण होती है। यह बात राहुल और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी जानती हैं। वरुण के अपनी चचेरी बहन प्रियंका से व्यक्तिगत रिश्ते (जैसाकि चर्चा है) अच्छे हो सकते हैं, लेकिन राजनीतिक रिश्ते कुछ दूसरी ही कसौटियों पर परखे जाते हैं। इनमें व्यक्ति की छवि भी शामिल है। इसलिए कांग्रेस के साथ उनके समीकरण बैठना मुश्किल हैं। हालांकि, कुछ विश्लेषक कयास लगा रहे हैं कि वरुण गांधी किसी दूसरे राज्य में प्रभावी ऐसी पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं, जिसके सपा के साथ अच्छे रिश्ते हों।
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