वाराणसी । ज्ञानवापी मस्जिद मामले में (In Gyanvapi Masjid Case) वाराणसी की जिला अदालत (Varanasi District Court) ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा (Stated in its Decision) कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच नहीं होगी (There will be No Carbon Dating Investigation of Shivling) । कोर्ट ने इससे पहले 11 अक्टूबर को दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी कोर्ट ने मस्जिद परिसर में कार्बन डेटिंग और ‘शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच की मांग वाली हिंदू पक्ष की मांग को खारिज कर दिया। हिंदू पक्ष की मांग को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि कार्बन डेटिंग से नुकसान का खतरा है । कोर्ट ने कहा कि शिवलिंग को नुकसान हुआ तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। वाराणसी कोर्ट ने कहा कि तथ्यों के साथ कोई छेड़छाड़ न हो और आम जनमानस की भावनाएं आहत न हों। न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया जिसमें शिवलिंग पाए जाने वाले स्थान को सील करने का निर्देश दिया गया था। इस दौरान कोर्ट में सिर्फ 58 लोगों को मौजूद रहने की इजाजत थी।
कोर्ट को यह तय करना था कि कार्बन डेटिंग विधि से ज्ञानवापी परिसर की जांच करनी है या नहीं? दरअसल, हिंदू पक्ष जिसे शिवलिंग कह रहा है उसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। ऐसे में हिंदू पक्ष की मांग थी कि शिवलिंग की जांच के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाए। कार्बन डेटिंग की मांग चार महिलाओं ने की है। वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने इस मामले की सुनवाई की।
वजूखाने में मिली आकृति की कार्बन डेटिंग कराने की मांग: ज्ञानवापी के वजूखाने में मिली आकृति को हिंदू पक्ष शिवलिंग कह रहा है तो वहीं मुस्लिम पक्ष इसे एक फव्वारा बता रहा है। इसकी जांच के लिए हिंदू पक्ष वजूखाने में मिली आकृति की कार्बन डेटिंग कराने की मांग कि थी। ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर मंदिर पक्ष ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने शिवलिंग की नहीं, बल्कि उसके आसपास के क्षेत्र में कार्बन डेटिंग की मांग की है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया ने अपना पक्ष रखा था, जिसके बाद वादिनी संख्या 2 से 5 तक के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने प्रति उत्तर में हिंदू पक्ष की दलीलें पेश की थी। वहीं, वादिनी संख्या एक के अधिवक्ता मान बहादुर सिंह ने कोई भी दलील देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद अदालत ने आदेश के लिए 14 अक्तूबर की तारीख निर्धारित की थी।
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