नई दिल्ली (New Dehli)। वंदे भारत व सेमी हाई स्पीड ट्रेन भारत(high speed train india)में बने फोर्ज व्हील(forge wheel) पर दौड़ेंगी। केंद्र सरकार मेक इन इंडिया(Central Government Make in India) के तहत चेन्नई में फोर्ज रेल पहिया कारखाना शुरू (wheel factory started)करने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ मार्च को कारखाने का शिलान्यास करेंगे। इस अवसर पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव चेन्नई में उपस्थिति रहेंगे। कारखाने में बनने वाले फोर्ज व्हील अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार होंगे। हर साल एक लाख से अधिक फोर्ज व्हील का निर्यात किया जाएगा।
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में भारतीय रेल एक लाख फोर्ज व्हील का ब्रिटेन, रोमानिया, ब्राजील, जापान, चीन, रूस, यूक्रेन से आयात करती है। 1960 से एलएचबी तकनीक वाली कोच आने के बाद यह सिलसिला चला आ रहा है। लेकिन अब भारत में मेक इन इंडिया के तहत चेन्नई में अंतरराष्ट्रीय स्तर के फोर्ज व्हील का उत्पादन शुरू किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कारखाने में 2026 तक हर साल दो लाख फोर्ज व्हील का उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसकी क्षमता बढाकर 2.5 लाख पहिया प्रति वर्ष करने की है। कारखाना लगााने पर 1000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे भारतीय रेल को हर साल एक लाख फोर्ज रेल पहियों की जरुरत पूरी होगी, वहीं एक से डेढ लाख पहियों का निर्यात भी किया जाएगा।
वर्तमान में भारत में सिर्फ कास्ट व्हील बनते हैं और इनको 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से तेज नहीं चलाया जा सकता है। जबकि वंदे भारत व सेमी हाई स्पीड ट्रेन को तेज रफ्तार से चलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक के फोर्ज व्हील की जरूरत है। रेलवे प्रति वर्ष 6000 करोड़ रुपये के स्वदेशी फोर्ज व्हील खरीदेगी। प्रस्तावित 478 वंदे भारत ट्रेनों के लिए तीन लाख फोर्ज व्हील की जरुरत होगी।
क्या होते हैं फोर्ज व्हील
फोर्ज व्हील बनाने का तरीका अलग होता है। इसमें पहिये को आकार देने के बाद हाई प्रेशर पर बार-बार दबाया जाता है। जिससे व्हील में किसी प्रकार का वैक्यूम अथवा हवा होने की संभावना पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। इनकी री-प्रोफाइलिंग बार बार नहीं करनी पड़ती है। ये पहिये सेमी हाई स्पीड (160-200 किलोमीटर प्रतिघंटा) की रफ्तार पर दौड़ने के लिए उपयुक्त होते हैं।
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