– अनिल निगम
भारत ने अपने पड़ोसी देशों बांग्लादेश और नेपाल को कोविड महामारी की रोकथाम के लिए कोविशील्डी वैक्सीन की 20 लाख और 10 लाख खुराकें भेजकर भारत को आत्मएनिर्भर बनाने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा दिए हैं। वैक्सीन की ये खुराकें कोरोना महामारी से निपटने के लिए दोनों देशों को नि:शुल्क भेजी गई हैं। भारत द्वारा विश्व मानवता के प्रति दिखाए गए बड़प्पन की अमेरिका ने उन्मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। स्वदेशी वैक्सीन के न्यूनतम साइड इफेक्ट का ही परिणाम है कि विश्व में सबसे ज्यादा 80 फीसदी भारतीयों ने कोविड का टीका लगवाने की इच्छा जताई है। भारत की वैक्सीन संबंधी उपलब्धि एवं नीति न केवल देश को आत्मनिर्भर बनाने की सशक्त कवायद है बल्कि यह भारत को विश्व पटल पर गुरु का दर्जा दिलाने की सार्थक पहल भी है।
यूं तो भारत का प्राचीन इतिहास गौरवशाली रहा है। भारतीय ज्ञान परंपरा, ज्ञान विज्ञान और समृद्ध संस्कृति के के चलते भारत को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त था। लेकिन कालांतर में विभिन्न कारणों से उसे इस स्थान से वंचित होना पड़ा। वर्तमान में भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी, योग-आध्यात्म और पढ़ी-लिखी युवा फौज से दुनिया को एकबार फिर अचंभित कर दिया है। वैश्विक महासंकट कोरोना ने विश्व के विकसित और शक्तिशाली देशों को भी झकझोर दिया है। पूरी दुनिया के गरीब और अमीर मुल्कों को कोराना महामारी से लोहा लेना पड़ा। लेकिन भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व ने इस महासंकट को न केवल संभाला बल्कि कोरोना पीड़ित देशों के साथ भाईचारे को जिस तरीके से निभा रहा है, उसने भारत की प्रतिष्ठा में वैश्विक स्तर पर चार चांद लगा दिए हैं।
वैक्सीन की डेढ़ लाख खुराक भूटान और एक लाख खुराक मालदीव को भी भेजी गई। जबकि म्यांमार सहित विश्व के अनेक देशों की मांग पर वैक्सीन की खुराकें भेजने की योजना है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह कोविड वैक्सीक दक्षिण एशिया के अलावा साउदी अरब, अफ्रीका, ब्राजील, मोरक्को अथवा विश्व के अन्य देशों को भी आपूर्ति के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि पहले भारत मास्क, पीपीई किट, वेंटिलेटर और कोविड की जांच किट का बाहर के देशों से आयात करता था, लेकिन आज इस मामले में आत्मनिर्भर है।
भारत की स्वदेशी वैक्सीन के प्रति भारतीयों और विदेशों में उत्साह एवं विश्वास का माहौल है। इडेलमैन पीआर ट्रस्ट, बैरोमीटर के 2021 में किए गए सर्वे के मुताबिक कोरोना महामारी के खिलाफ टीका लगवाने के लिए सबसे अधिक भारतीय इच्छा रखते हैं।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब संपूर्ण विश्व में कोविड 19 महामारी का जबर्दस्त प्रकोप फैल रहा था और वायरस के इलाज में कारगर मानी जानी वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की अमेरिका सहित विभिन्न देशों ने भारत से मांग की थी तो उसने अपने वसुधैव कुटुंबकम् के धर्म को निभाते हुए अनेक देशों को दवाओं की खेप भेजी थी। कोरोना से लड़ने में कारगर व भारत में बनने वाली मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की मांग दुनिया के सभी देश कर रहे थे। भारत ने अपनी वैश्विक जिम्मेमदारी का अहसास करते हुए अमेरिका सहित अनेक देशों को दवाओं की खेप भेजी। यही कारण है कि सभी देशों ने इसके लिए पीएम मोदी की भूरी-भूरी प्रशंसा की। कोरोना संकट के समय अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया।
पूर्व की तरह अपनी वैक्सीन नीति के माध्यम से भारत को बड़प्पन दिखाने का सुअवसर एकबार फिर मिला है। विश्व के अनेक देशों ने भारत की स्वदेशी कोविड वैक्सीन में दिलचस्पी दिखाई है। भारत ने भी विश्व जनमत का सम्मान करते हुए इस संबंध में उदारता दिखाते हुए सभी को वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात कही है। नि:संदेह, प्रधानमंत्री का यह प्रयास भारत को विश्व फलक पर एकबार फिर विशाल बना देगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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