नई दिल्ली। दुनिया के तमाम हिस्सों में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। चीन और रूस ने बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कुछ हिस्सों में एक बार फिर से लॉकडाउन का ऐलान कर दिया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीनेशन ही सबसे प्रभावी हथियार है।
भारत में अब तक 105 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज मिल चुकी है। इस बीच एक हालिया अध्ययन ने लोगों को राहत दी है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया है कि टीकाकरण करा चुके जिन लोगों को पहले कोरोना का संक्रमण था, उनमें सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर अधिक और प्रभावी हो सकता है।
अमेरिका में फाइजर/मॉडर्ना की दोनों खुराक ले चुके 1,960 स्वास्थ्य कर्मियों पर किए गए अध्ययन के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं। यह अध्ययन इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि वैक्सीनेशन के बाद बनी एंटीबॉडीज की प्रभावशीलता पर लगातार बहस जारी है। आइए आगे की स्लाइडों में इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पहले से संक्रमितों में एंटीबॉडीज अधिक प्रभावी
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 73 ऐसे लोगों को शामिल किया जिनकी पहली खुराक लेने से पहले कोरोना की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इन लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज देने के एक और तीन माह बाद शरीर में बनी एंटीबॉडीज के स्तर की जांच की गई। इसमें वैज्ञानिकों ने पाया कि जो पहले से संक्रमित लोगों में वैक्सीन के बाद बनी एंटीबॉडीज का स्तर अन्य लोगों की तुलना में अधिक पाया गया।
समय के साथ बढ़ती हैं एंटीबॉडीज
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में फेलो और अध्ययन के प्रमुख लेखक डायना झोंग कहते हैं, इस अध्ययन में हमने पाया है कि जिन स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीनेशन से पहले कोरोना का संक्रमण था, उनमें एमआरएनए की दो खुराक के बाद अन्य लोगों की तुलना में एंटीबॉडी का स्तर अधिक पाया गया। जांच में दूसरी खुराक के एक महीने के बाद अन्य लोगों की तुलना में एंटीबॉडीज का स्तर 14 प्रतिशत, तीन महीने के बाद 19 प्रतिशत और छह महीने के बाद 56 प्रतिशत अधिक पाया गया है।
संक्रमण के बाद टीकाकरण में अंतराल है बेहतर
अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि टीके की पहली डोज के करीब 90 दिन पहले संक्रमित रह चुके लोगों में एंटीबॉडीज का स्तर अधिक पाया गया है। इसके अलावा जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक आरोन मिलस्टोन कहते हैं, अध्ययन के दौरान यह भी पता चला है कि संक्रमण और टीका की पहली खुराक के बीच एक लंबा अंतराल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को बढ़ावा दे सकता है। फिलहाल गाइडलाइंस के मुताबिक संक्रमण से ठीक होने के 90 दिनों के बाद टीकाकरण कराया जा सकता है।
संक्रमण का खतरा होगा कम
अध्ययनकर्ता आरोन मिलस्टोन कहते हैं, यह निर्धारित करने के लिए आगे की जांच की आवश्यकता है कि पहले से संक्रमित लोगों में टीकाकरण के बाद संक्रमण को जोखिम कितना हो सकता है? फिलहाल यह निश्चित ही संतोषजनक है कि जिन लोगों को पहले से संक्रमण हो चुका है उन्हें टीकाकरण के बाद कोरोना वायरस से अधिक सुरक्षित माना जा सकता है। कोरोना के दोबारा से बढ़ते मामलों को देखते हुए यह अध्ययन काफी महत्वपूर्ण हो सकता है।
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