लंदन। द लैंसेट जर्नल(The Lancet Journal) में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक टीके से पैदा हुई प्रतिरोधक क्षमता (immunity) कुछ महीनों के भीतर भले ही खत्म हो जाती है, लेकिन कोविड संक्रमण (covid infection) से गंभीर क्षति पहुंचने का जोखिम काफी कम हो जाता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि अलग-अलग किस्म के टीकों से बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) की अवधि में भी अंतर पाया गया है।
अध्ययन से जुड़े मुख्य शोधकर्ता स्वीडन की उमिय यूनिवर्सिटी(Umiy University of Sweden) के प्रोफेसर पोटर नॉर्डस्ट्रॉम (Professor Potter Nordstrom) के अनुसार, टीके को दूसरी खुराक के महज सात महीने बाद ही संक्रमण से बचाव के लिए बनी रोग प्रतिरोधी क्षमता में कमी आने लगती है और व्यक्ति के फिर से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि टीके की दोनों खुराक लेने के बाद गंभीर संक्रमण का जोखिम नगण्य हो जाता है, जिससे टीके को दोनों खुराक ले चुके व्यक्ति के संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु का खतरा कम रहता है।
नॉर्डस्ट्रॉम ने बताया कि यह स्वीडन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य और कल्याण बोर्ड के आंकड़ों पर आधारित एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन है। इसमें करीब 17 लाख लोगों को शामिल किया गया था। इसके अलावा 40 लाख लोगों को आबादी में अध्ययन के नतीजों की पुष्टि हुई है। अध्ययन से यह भी पता चला है कि गंभीर संक्रमण से सुरक्षा दूसरी खुराक के एक महीने बाद शीर्ष पर होती है, इसके बाद धीरे-धीरे कम होते जाती है। अध्ययन के आंकड़ों मुताबिक फाइजर को दी खुराक लगने के बाद संक्रमण से बचाव की क्षमता करीब 29% थी, जबकि इसी अवधि में मॉडर्न की दो खुराक के बाद यह क्षमता 59% शेष थी। एस्ट्राजेनेका का टीका लगाने वाले लोगों में दूसरो खुराक लगने के एक महीने बाद संक्रमण से सुरक्षा शेष नहीं थी। टीके की दूसरी खुराक के बाद गंभीर बीमारी से बचाव की क्षमता एक महीने के बाद 89% और 4 से 9 माह तक 64% दर्ज की गई। उमिया विश्विद्यालय की सहायक प्रोफेसर और अध्ययन को सहलेखिका अन्ना नार्डस्ट्रॉम कहती हैं कि अध्ययन में सबसे आम जानकारी यही मिली है कि किस तरह का टीका लगने के बाद कितने दिन तक कोविड के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता शेष रहती है। इस अध्ययन के नतीजों की मदद से बूस्टर डोज का प्रभावी और किफायती कार्यक्रम बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा अध्ययन का सबसे मजबूत पक्ष यह है कि यह वास्तविक दुनिया के आंकड़ों पर आधारित है कि किसी नियंत्रित माहौल में किए गए प्रयोग को तरह इसके नतीजे सीमित नहीं।