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    Maharashtra में कम पड़ गईं बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन, केंद्र से लगाई गुहार

  • January 16, 2022

    पुणे। महाराष्ट्र में वैक्सीनेशन (Vaccination in Maharashtra) कहां तक पहुंचा है, कितने लोगों का टीकाकरण हुआ है और राज्य में अभी कितनी डोज़ की ज़रूरत है, इस पर राज्य के वैक्सीन ऑफिसर डॉ. सचिन देसाई (Vaccine Officer Dr. Sachin Desai) ने जानकारी दी है. उनका कहना है कि महाराष्ट्र में बच्चों को दी जाने वाली कोविड वैक्सीन कम (Covid vaccine given to children less) पड़ गई हैं।

    90 प्रतिशत लोगों को दी जा चुकी है वैक्सीन की पहली खुराक
    वैक्सीन ऑफिसर डॉ. सचिन देसाई के मुताबिक, अभी तक महाराष्ट्र में कोविड वैक्सीन की पहली डोज़ 90 प्रतिशत लोगों को दी जा चुकी है. वहीं, 62 प्रतिशत लोगों को दूसरी डोज़ दे दी गई है। महाराष्ट्र के 94 लाख लोगों ने पहली डोज़ नहीं ली है. दूसरा डोज़ की अनुमति होने के बावजूद भी 1 करोड़ 13 लाख लोगों ने दूसरी डोज़ नहीं ली है. 15 से 18 साल की उम्र के 60 लाख किशोरों को वैक्सीन की पहली खुराक दी जानी थी, लेकिन अभी तक केवल 24 लाख बच्चों को ही वैक्सीन दी गई है।


    20 दिन चल सकता है कोविशील्ड का स्टॉक
    कोविशील्ड के स्टॉक में अभी एक करोड़ डोज़ उपलब्ध हैं. रोजाना करीब 4.5 लाख डोज़ दी जा रही हैं. मौजूदा वैक्सीन स्टॉक 20 दिन चल सकता है. वहीं कोवैक्सीन के 14 लाख डोज़ स्टॉक में हैं. राज्य में कोवैक्सीन के 1.60 लाख डोज़ रोजाना दिए जा रहे हैं, इसका स्टॉक 8 दिन तक चलेगा। महाराष्ट्र राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से कोविशील्ड के 50 लाख डोज़ और कोवैक्सीन के 40 लाख डोज़ मांगे थे, इस महीने 13 लाख कोवैक्सीन डोज़ मिली हैं।

    बच्चों की वैक्सीन के लिए महाराष्ट्र में 26 से 27 लाख डोज़ की कमी
    महाराष्ट्र में 15 से 18 साल की उम्र के किशोरों और उससे ऊपर के लोगों को लिए कुल 30 करोड़ वैक्सीन डोज़ दी जानी थीं. इसमें से करीब 14.5 करोड़ लोगों का टीकाकरण पूरा हो गया है. हर महीने महाराष्ट्र में 2 से सवा दो करोड़ डोज़ दिए जा रहे हैं। अगर वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध हुआ और सभी लोगों ने सही से वैक्सीन सेंटर पहुंचे, तो आने वाले 6 महीनों में महाराष्ट्र को करीब 30 करोड़ डोज़ देने होंगे।

    तेजी से बढ़ रही है मरीजों की संख्या, लेकिन अस्पतालों में सन्नाटा क्यों?
    राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, हालांकि मरीजों की संख्या को देखते हुए अस्पताल खाली हैं. पुणे के नायडू अस्पताल ने पिछले दो वर्षो में हजारो की संख्या में कोरोना मरीजों का इलाज किया है. हर दिन इस अस्पातल में 250 कोरोना मरीजों का इलाज किया गया, लेकिन कोरोना की तीसरी लहर में नायडू अस्पातल में सन्नाटा छाया हुआ है।

    नायडू अस्पातल के डायरेक्टर डॉ सुधीर पटसूते ने कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में लोगों को कोरोना का संक्रमण हुआ था. पिछले एक साल में राज्य में बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन हुआ है, इसलिए वैक्सीनेशन की वजह से लोगों में संक्रमण के लक्षण बहुत कम दिखाई दे रहे हैं. साथ ही, ओमिक्रॉन के लक्षण भी कम दिखाई दे रहे हैं. इसलिए अधिकतर मरीजों का इलाज घर में रहकर ही हो रहा है।

    डॉ सुधीर पटसूते के मुताबिक़, पुणे जिले में पहले आई H1N1 महामारी को ख़त्म होने में जिस तरह 5 से 6 साल लग गए, उसी तरह कोविड महामारी पहले तीन चार साल परेशान करेगी, लेकिन उसके बाद कोरोना का असर कम होता चला जाएगा।

    13 जानवरी के आंकड़े देखें, तो राज्य में एक दिन में कोरोना के 46 हजार से अधिक मामले सामने आए. लेकिन पुणे जिले में सिर्फ 1770 मरीज ही अस्पताल में भर्ती हुए थे. इनमें से सिर्फ 100 मरीजों को ही ऑक्सीजन की ज़रूरत है, जबकि 75 मरीज वेंटिलेटर पर हैं. 42,345 मरीज़ होम आइसोलेशन में हैं. जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं ली थी, उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है. आपको बता दें कि पुणे में पॉजिटिविटी रेट 24% है।

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