नई दिल्ली । दुनिया के कई देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) के कारण कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Infection) पर नियंत्रण पाने के लिए कोविड-19 वैक्सीन के बूस्टर डोज (Covid-19 Vaccine Booster Dose) पर तैयारी चल रही है. इस बीच वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की टॉप साइंटिस्ट डॉ सौम्या विश्वनाथन (Dr. Soumya Viswanathan) ने कहा कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि स्वस्थ बच्चों और किशोरों को वैक्सीन का बूस्टर डोज देने की आवश्यकता होगी. ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं है कि हर वेरिएंट को ध्यान में रखते हुए टीकाकरण में बदलाव किया जाए.
बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ सौम्या विश्वनाथन ने कहा कि, फिलहाल इस बात का कोई सबूत नहीं है कि स्वस्थ बच्चों और किशोरों को कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरूरत होगी. दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन की शीर्ष डॉक्टर का यह बयान उस वक्त आया है जब अमेरिका, जर्मनी और इजरायल जैसे देशों ने बच्चों को बूस्टर डोज देने की शुरुआत कर दी है.
जबकि भारत में इस महीने की शुरुआत में 15 से 18 वर्ष के बच्चों के कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई है. वहीं अमेरिका में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने 12 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए फाइजर और बायोएनटेक की कोविड-19 वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है.
अमेरिका जैसे विकसित देशों में बच्चों को वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस बात से सहमत नहीं है कि आबादी के कमजोर समूह से जुड़े लोगों को बूस्टर डोज की आवश्यकता नहीं है. डॉ सौम्या विश्वनाथन ने कहा कि इस सप्ताह के आखिरी में जाने-माने शिक्षाविदों का एक समूह इस विषय पर चर्चा करेगा कि सरकारों को वैक्सीन के बूस्टर डोज पर फिर से विचार करना चाहिए.
डॉ सौम्या विश्वनाथन ने कहा कि बूस्टर डोज का मुख्य उद्देश्य उस कमजोर वर्ग के लोगों को कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान करने की है. जिनमें गंभीर बीमारियों और मौत से जुड़ा खतरा ज्यादा है. बुजुर्ग आबादी के साथ-साथ हेल्थ वर्कर भी इसमें शामिल हैं.
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