नई दिल्ली। जस्टिस यूयू ललित (Justice UU Lalit) वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज (judge in supreme court) और उसके बाद मुख्य न्यायाधीश (chief Magistrate) बनने वाले दूसरे जज हैं। इससे पूर्व जस्टिस एसएम सीकरी (Former Justice SM Sikri) देश के 13वें मुख्य न्यायाधीश (13th Chief Justice) बने थे। उन्हें भी बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज बनाया गया था। जस्टिस सीकरी का कार्यकाल 1971 से अप्रैल 1973 तक था। लेकिन, जस्टिस ललित का कार्यकाल महज 74 दिनों का होगा और नवंबर 8, 2022 में वह सेवानिवृत्त हो जाएंगे। देश के मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना जस्टिस पीएस नरसिम्हा (Justice PS Narasimha) की भी है। वह भी सीधे बार से जजशिप में प्रोन्नत किए गए हैं। वह मई 2028 में रिटायर होंगे।
सरकार ने हाल ही में संसद में इस बात से इनकार किया है कि जजों की सेवानिवृत्ति उम्र में दो साल की वृद्धि करने का सरकार का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है, लेकिन सूत्रों के अनुसार सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार ने पूरी तरह से अस्वीकृत नहीं किया है। यदि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करती है और जजों की सेवानिवृत्ति आयु में दो वर्ष की बढ़ोतरी करती है तो 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस ललित नवंबर 2024 तक सेवा में रहेंगे। दो वर्ष की उम्र बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट जज 67 वर्ष में तथा हाईकोर्ट के जज 64 वर्ष की आयु में रिटायर होंगे।
उच्च न्यायपालिका के जजों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाने की वकालत मौजूदा देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना भी कर चुके हैं। अमेरिका के न्यायाधीशों के साथ बैठक में जस्टिस एनवी रमना कह चुके हैं कि जजों को 65 वर्ष की आयु में रिटायर करना जल्दबाजी है। इस उम्र में वे स्वास्थ्य की दृष्टि से फिट रहते हैं और उन्हें रिटायर करके सरकार उनके अनुभव से न्यायपालिका को वंचित कर देती है। अमेरिका में एक बार जज बनने के बाद व्यक्ति जीवन पर्यंत पद पर रहता है, उनके सेवानिवृत होने की कोई आयु नहीं है।
महाराष्ट्र से आने वाले जस्टिस ललित अगस्त 2014 में वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनाए गए थे। उनके पिता मुंबई हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं। वह तीन तलाक को खत्म करने वाली बेंच के सदस्य रहे हैं। जनवरी 2019 में अयोध्या में रामजन्म भूमि विवाद का फैसला करने वाली संविधान पीठ से जस्टिस ललित स्वयं हट गए थे। उन्होंने कहा था कि वह इस मामले में 1997 में यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के वकील रह चुके हैं, इसलिए वह इस बेंच का हिस्सा नहीं बनेंगे।
पीएफ/पेंशन फंड मामले की सुनवाई कर रहे
जस्टिस ललित इस समय करोड़ों कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण मामले, वेतन से पीएफ/पेंशन फंड काटने की सीमा बढ़ाने के खिलाफ ईपीएफओ की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं।
इससे पूर्व जस्टिस ललित ने पिछले दिनों अप्रैल में एक फैसला दिया था, जिसमें उन्होंने चार वर्ष की बच्ची का रेप कर हत्या करने वाले फिरोज (35) की मौत की सजा माफ कर यह कहते हुए 20 साल की सजा सुनाई थी कि हर संत का इतिहास होता है और हर अपराधी का भविष्य होता है। बाद में महिला संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की, लेकिन उन्होंने उसे भी खारिज कर दिया था।
लंबित मुकदमे और जजों की रिक्तियां
जस्टिस ललित जब 26 अगस्त को देश के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे तो उस समय सुप्रीम कोर्ट में 72 हजार मुकदमे और जजों की चार रिक्तियां होंगी। जस्टिस ललित कोलेजियम के अध्यक्ष होंगे और हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में रिक्तियां भरने की जिम्मेदारी उनकी होगी। देश के 24 हाईकोर्ट में इस समय 380 जजों के पद रिक्त हैं।
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