नैनीताल । उत्तराखंड (Uttarakhand) के उत्तरकाशी मस्जिद (Uttarkashi Mosque) का विवाद अब हाई कोर्ट (High Court) पहुंच गया है। अल्पसंख्यक सेवा समिति (Minority Service Committee) की ने कहा है कि मस्जिद 1969 में जमीन खरीद कर बनाई गई है। समिति की ओर से दायर याचिका में मस्जिद की सुरक्षा के संबंध में राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है।
उत्तराखंड अल्पसंख्यक सेवा समिति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट ने उत्तरकाशी के मस्जिद मामले पर सुनवाई की। हाई कोर्ट ने जिला अधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को धार्मिक स्थलों की सुरक्षा बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को इस संबंध में जवाब देने को कहा है।
उत्तरकाशी की अल्पसंख्यक सेवा समिति की ओर से दायर याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि पिछले महीने 24 सितंबर से कुछ संगठन भटवारी रोड स्थित जामा मस्जिद को अवैध बताकर आंदोलन कर रहे हैं। उसे ध्वस्त करने की धमकी दी जा रही है। साथ ही कुछ लोग भड़काऊ बयानबाजी कर रहे हैं। इससे तनाव की स्थिति बनी हुई है।
याचिका में कहा गया कि मस्जिद वैध है। वर्ष 1969 में जमीन खरीद कर बनाई गई। वन विभाग और जिला प्रशासन भी यह बात स्पष्ट कर चुका है। कुछ लोगों ने मस्जिद के खिलाफ आगामी एक दिसंबर को महापंचायत करने की घोषणा की है। याचिका में मस्जिद की सुरक्षा के संबंध में राज्य सरकार को निर्देश देने और प्रतिवादियों को महापंचायत की अनुमति नहीं देने की मांग की गई है। याचिका में यह भी कहा गया कि कुछ लोगों द्वारा लगातार भड़काऊ बयान दिए जा रहे हैं। यह उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। शीर्ष अदालत ने भड़काऊ भाषण पर रोक लगाने की बात कही है।
दरअसल, हिंदू संगठन उत्तराखंड के उत्तरकाशी में कथित तौर पर सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद को हटाने की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर हिंदू संगठनों की ओर से से रैली भी निकाली गई थी, जिसमें बवाल हो गया था। रैली के दौरान हुए पथराव के मामले में 200 से अधिक लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
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