देहरादून । उत्तराखंड में प्रवेश करने वालों के लिए पहले तय की गई 2000 व्यक्तियों की दैनिक लिमिट को अनलॉक-4.0 में खत्म किये जाने के बाद शासन-प्रशासन के समक्ष चुनौती बढ़ गई है। पता चला है कि राज्य में दाखिल होने के बाद 211 लोगों ने अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए, जिन्हें ट्रेस करने में पुलिस के पसीने छूट गए।
उत्तराखंड में पिछले एक पखवाड़े से कोरोना मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। हालांकि इस दौरान टेस्टिंग और मरीजों के स्वस्थ होने का औसत भी पहले के मुकाबले बढ़ा है लेकिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या कुछ ज्यादा ही बढ़ रही है। प्रदेश की आबादी करीब सवा करोड़ है। देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले में प्रदेश की 66 प्रतिशत आबादी रहती है लेकिन प्रदेश में अब तक मिले 20,398 संक्रमितों में 77 प्रतिशत संक्रमित इन्हीं जिलों में मिले हैं। इसके मुकाबले नौ जिलों में प्रदेश की कुल जनसंख्या की 34 प्रतिशत आबादी है लेकिन इन जिलों में 23 प्रतिशत संक्रमित मामले मिले हैं। इस तरह राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ रहे खतरे के बीच प्रदेश सरकार के लिए पहले तय पाबंदी में ढील देने के बाद चुनौती बढ़ गई है। राज्य में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों में खास तौर पर चार जिलों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल में ऐसे लोगों की संख्या अधिक है, जो गंतव्य पर पहुंचकर अपने मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर दे रहे हैं।
राज्य के मुख्य सचिव ओमप्रकाश के अनुसार अभी तक 211 व्यक्ति ऐसे हैं, जिन्होंने राज्य में दाखिल होने के बाद अपने मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर दिए हैं। हालांकि इन्हें ट्रेस करने के लिए वैकल्पिक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में प्रवेश करने वालों पर नजर रखना जरूरी हो गया है। कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही कंटेनमेंट जोन में भी इजाफा हो रहा है। अन्य राज्यों से आने वालों के लिए पंजीकरण कराना बहुत जरूरी है। इस पर जोर देते हुए संबंधित जिलों के प्रशासन को इस बारे में हिदायत दी गई है। साथ ही कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए बेड, वेंटिलेटर और मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ को बढ़ाने की आवश्यकता में बढ़ोतरी की गई है। इन परिस्थितियों में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए व्यापक जन जागरूकता की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह सचिव के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने अन्य राज्यों से आने वाले व्यक्तियों की प्रतिदिन की संख्या सीमित करने का पुराना आदेश रद्द कर दिया है। केंद्र सरकार की अनलॉक-चार की गाइडलाइन के मुताबिक राज्य अब लॉकडाउन को लेकर खुद फैसला नहीं कर सकेंगे।
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