देहरादून । भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की ओर से 2022 के विधानसभा चुनावों (assembly elections) में बगावत थामने के लिए तैयार किया गया डैमेज कंट्रोल प्लान (damage control plan) बेअसर होता दिख रहा है। टिकट न मिलने से नाराज दावेदार खुलेआम बगावत पर उतारू हैं जबकि पार्टी का संगठन अभी तक किसी दावेदार को मना नहीं पाया है। दरअसल विधानसभा चुनावों से काफी पहले से ही भाजपा टिकट वितरण और संभावित बगावत रोकने के लिए काम कर रही थी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से इस संदर्भ में बूथ स्तर तक के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रणनीति बनाई थी। टिकट वितरण से पहले ही संभावित बगावत को नियंत्रित करने का फार्मूला तय हो गया था। विधानसभा प्रभारियों को ऐसे लोगों की पहचान कर उनको मनाने वाले प्रभावशाली कार्यकर्ताओं या नेताओं तक की सूची उपलब्ध कराने को कहा गया था।
यही नहीं टिकट वितरण से कुछ कुछ दिन पूर्व हुई चुनाव संचालन और कोर ग्रुप की बैठक के दौरान सांसदों को बगावत रोकने या डैमेज कंट्रोल को सुलझाने का जिम्मा दिया गया था। लेकिन पार्टी की पहली सूची आने के बाद दावेदार न केवल खुलकर टिकट वितरण पर ऐतराज जता रहे हैं बल्कि कई तो चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी तक कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि कई दावेदार तो पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के तक फोन नहीं उठा रहे जिससे पार्टी की मुश्किल बढ़ सकती है। साथ ही पार्टी का डैमेज कंट्रोल प्लान भी धराशाही होता दिख रहा है। हालांकि पार्टी के पदाधिकारी इस संदर्भ में कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं।
कुछ सीटों पर बढ़ सकती हैं मुश्किलें
अभी तक बंट चुके टिकटों के आधार पर हो रही बगावत की वजह से भाजपा को नरेंद्र नगर, कर्णप्रयाग, देवप्रयाग आदि सीटों पर ज्यादा परेशानी हो सकती है। इन सीटों के दावेदार टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय या दूसरी पार्टियों के साथ चुनाव मैदान में उतरने का निर्णय ले सकते हैं जिससे पार्टी को परेशानी झेलनी पड़ सकती है।
भाजपा दफ्तर में तैनात बाउंसरों की खूब हो रही चर्चा
विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद भाजपा में बढ़ती नाराजगी के बीच पार्टी प्रदेश कार्यालय में तैनात दो बाउंसर खूब चर्चा बटोर रहे हैं। इन बाउंसरों की तैनाती को लेकर कई तरह की चर्चा हो रही है। पार्टी कार्यालय में तैनात बाउंसरों को लेकर शनिवार को सोशल मीडिया से लेकर पार्टी नेताओं में कई तरह की चर्चाएं रहीं। कई लोग इन्हें संगठन के पदाधिकारियों का सुरक्षा कवच बता रहा थे तो कई चुनावी मौसम बाउंसरों की तैनाती पर हैरानी जता रहे हैं।
हालांकि पार्टी के नेताओं ने कहा कि प्रदेश कार्यालय में दो बाउंसरों की तैनाती टिकट आवंटन की प्रक्रिया से कुछ समय पूर्व हो गई थी और पहले भी पार्टी कार्यालय में बाउंसरों की तैनाती होती रही है। लेकिन इस बार चुनाव से ऐन पहले कार्यालय में बाउसंर कुछ ज्यादा ही ध्यान खींच रहे हैं। इसीलिए बाउंसरों की इस बार पहले से ज्यादा चर्चा हो रही है।
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