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    UP में अब भेड़ियों के बाद टाइगर का आतंक, 50 गांवों में फैली दहशत, एक आदमी को बनाया अपना निवाला

  • September 12, 2024

    लखनऊ । वो कभी रात के अंधेरे में दिख रहा है. कभी दिन के उजाले में नजर आ जाता है. कभी उसके गुजर जाने के बाद उसके पगमार्क डरा रहे हैं. यदि वो कोई टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) का हिस्सा होता, तो शायद लोग उसे देखकर रोमांचित होते, लेकिन चूंकि वो गांव है, इंसानी आबादी वाला इलाका है और रह रह वो इंसानों को ही अपना निवाला बना रहा है. कैमरे में कैद तस्वीरें लोगों में खौफ भर देती है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भेड़ियों के बाद अब टाइगर (Tiger) की दहशत फैली हुई है.

    यूपी के लखीमपुर खीरी ज़िले के गन्ने के खेतों में छुपा बैठा आदमखोर टाइगर एक-एक कर गांव वालों को अपना निशाना बना रहा है. महज महीने भर के अंदर ही उस बाघ ने चार जिंदगियों को लील लिया है. ताजा घटनाक्रम में जिले के दक्षिण खीरी वन प्रभाग के महेशपुर रेंज में बुधवार को एक 40 वर्षीय व्यक्ति को टाइगर ने मार डाला. यह महज 15 दिन के अंदर दूसरी ऐसी घटना है, जिसमें एक इंसान को आदमखोर जानवर ने अपना निवाला बना लिया.

    मूडा अस्सी गांव के निवासी जाकिर पर उस समय उसने हमला किया, जब वो अपने गन्ने के खेत में काम कर रहा था. इस घटना से स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है, जो नरभक्षी जानवर को पकड़ने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. दक्षिण खीरी के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) संजय बिस्वाल ने महेशपुर रेंज में बाघ के हमले में किसी इंसान के हताहत होने की पुष्टि कर दी है. इसके साथ अपनी तैयारियों के बारे में भी बताया है.


    इससे पहले इस बाघ ने 27 अगस्त को एक ग्रामीण अंबरीश कुमार को मार डाला था. राज्य के वन मंत्री अरुण कुमार ने स्थिति का आकलन करने और वन अधिकारियों को बाघ को पकड़ने का निर्देश देने के लिए क्षेत्र का दौरा किया. इसके बाद वन विभाग ने गश्ती दल तैनात किए हैं. पिंजरे और कैमरे लगाए गए हैं. आदमखोर जानवर को पकड़ने के लिए ट्रैंक्विलाइज़िंग एक्सपर्ट को बुलाया गया है. हालांकि, भारी बारिश और जलभराव ने इन कोशिशों में बाधा डाली है.

    डीएफओ के अनुसार, ड्रोन कैमरों और अन्य उपकरणों से लैस चार गश्ती दल तैनात किए गए हैं. बाघ का पता लगाने और उसकी निगरानी के लिए प्रभावित क्षेत्रों में चार पिंजरे और 40 कैमरे लगाए गए हैं. पीलीभीत टाइगर रिजर्व से दक्ष गंगवार के नेतृत्व में ट्रैंक्विलाइजिंग एक्सपर्ट को बुलाया गया है. कानपुर चिड़ियाघर से एक ट्रैंक्विलाइजिंग एक्सपर्ट को भी बुलाया गया है. डीएफओ ने कहा कि बाघ की गतिविधियों का पता लगाया जा रहा है.

    लखीमपुर जिले के करीब 50 गांवों में बाघ का आतंक है. बाघ प्रभावित गावों में रहने वाले लोग बताते हैं कि वैसे तो बाघ हर बार गन्ने की फसल के ऊंची होने के साथ ही जंगल से रिहायशी इलाकों और खेतों की तरफ चले आते हैं, क्योंकि इन फसलों के बीच उन्हें अक्सर मवेशियों, सियार और जंगली सूअर की सूरत में आसान शिकार मिल जाते हैं. लेकिन असली दिक्कत तब होती है, जब बाघ गन्ने के खेतों में काम कर रहे इंसानों को भी अपना निवाला बना लेते हैं.

    एक खास बात है कि अब तक जितने भी लोगों को बाघ ने मारा है, वो सभी के सभी लोग खेतों में बैठ कर काम कर रहे थे और बाघ ने पीछे से ही हमला किया. लेकिन खड़े लोगों को और खास कर सामने से बाघ ने कभी किसी को टार्गेट नहीं किया. इससे लगता है कि शायद बाघ इंसानों को भी धोखे से ही मारते हैं, जानबूझ कर नहीं. वैसे ये पहला मौका नहीं है, जब लखीमपुर खीरी में लोग बाघों के हमले से जान गंवा रहे हैं. पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं.

    दुधवा टाइगर रिजर्व और पीलीभीत टाइगर रिजर्व से घिरे लखीमपुर खीरी में पहले भी बाघ ऐसे रिहायशी इलाकों में आते रहे हैं और लोगों की जान लेते रहे हैं. लखीमपुरी खीरी के नजदीक अकेले दुधवा टाइगर रिजर्व में ही 140 से ज्यादा बाघों की आबादी है, लेकिन जिस तरह से ये बाघ ग्रामीण इलाकों में घुस रहे हैं, वो एक बड़ा खतरा बन चुका है. 1 अगस्त को खीरी थाना इलाके में बाघ ने एक 10 साल के बच्चे पर हमला कर दिया था. उसकी लाश गन्ने के खेत में मिली.

    2 अगस्त को शारदा नगर थाना इलाके के मैनहा गांव में 9 साल के बच्चे को बाघ ने अपना शिकार बनाया इस बच्चे की क्षत विक्षत लाश भी गन्ने के खेत में मिली थी. 4 अगस्त को गोला थाना के पश्चिमी बीट में 12 साल की बच्ची को बाघ दबोच कर ले गया बाद में बच्ची की लाश खेत से बरामद की गई. 11 अगस्त को हैदराबाद थाना इलाके के बजरिया गांव के रहने वाले 64 साल के किसान हरिपाल पर बाघ का हमला हुआ, हालांकि वो बच गए.

    लखीमपुर जिले से 130 किमी दूर बहराइच जिले में पिछले डेढ़ महीने से करीब 50 गांवों में रहने वाले हजारों लोगों की नींद हराम हो चुकी है. वजह ये कि पता नहीं कब कहां से कोई भेड़िया आ जाए और किस मां-बाप के कलेजे के टुकड़े को उठा ले जाए, ये कोई नहीं जानता. आंखों-आंखों में पूरी रात गुजर जाती है. कहीं लोग लाठी डंडों के साथ पहरे में लगे हैं, तो कहीं पटाखे फोड़ कर नरभक्षी भेड़ियों को इंसानी आबादी से दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं.

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