वाराणसी. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने सोमवार को कहा कि समाज का एक निश्चित वर्ग हिंदू देवी-देवताओं (Hindu Gods and Goddesses) के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करना और मूर्तियों (Statues) को तोड़ना अपना अधिकार मानता है. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों से सख्ती से निपटा जाएगा. मुख्यमंत्री योगी ने कहा, ‘हिंदू धर्म किसी का अंत नहीं चाहता है. वह अहिंसा परमो धर्मः के साथ ही धर्म हिंसा तथैव च की भी बात करता है. यानी सेवा के कार्य से जुड़ें. दीन-दुखियों की सेवा के लिए जीवन समर्पित करें, लेकिन राष्ट्र-धर्म की रक्षा और निर्दोषों को बचाने के लिए हिंसा करनी पड़े तो यह धर्म सम्मत है.’
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘यही आह्वान भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना के समय प्रखर राष्ट्रवादी व सिद्ध संत स्वामी प्रणवानंद ने भी किया था. स्वामी प्रणवानंद ने साधना से सिद्धि प्राप्त की थी, लेकिन ध्येय राष्ट्रवाद का था.’ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी के सिगरा स्थित भारत सेवाश्रम संघ में दुर्गा पूजा समारोह में अपने भाषण के दौरान यह टिप्पणी की. उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में, जहां देवी की पूजा की परंपरा शुरू हुई, सनातन धर्म आज ‘असहाय और असुरक्षित’ दिखाई देता है.
योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि एक निश्चित वर्ग हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करना, प्रतिष्ठित हस्तियों का अपमान करना और मूर्तियों को तोड़ना अपना अधिकार मानता है. उन्होंने कहा, ‘अक्सर जब कोई नफरत व्यक्त करता है तो अशांति पैदा करने के लिए इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिश की जाती है.’ योगी आदित्यनाथ ने चेतावनी दी, ‘कोई भी कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश न करे. जो लोग ऐसा करेंगे उन्हें सख्त कानूनी परिणाम भुगतने होंगे. कानून अव्यवस्था को बढ़ावा देने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करेगा.’
उन्होंने कहा कि हर धर्म, संप्रदाय और समुदाय की आस्था का सम्मान होना ही चाहिए, लेकिन अराजकता अस्वीकार्य है और गड़बड़ी पैदा करने वालों को परिणाम भुगतना होगा. कार्यक्रम के दौरान सीएम ने मां दुर्गा की पूजा की और महिलाओं को 100 सिलाई मशीनें वितरित कीं. उन्होंने सभी आगंतुकों, अतिथियों और जनता को शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं दीं. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘अहिंसा परमो धर्मः’ का सिद्धांत गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए अपना जीवन समर्पित करने पर जोर देता है.
उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि अगर देश की एकता और अखंडता को चुनौती दी जाती है या इसकी सीमाओं पर अतिक्रमण किया जाता है, तो धर्म हिंसा तथैव च का सिद्धांत देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए आवश्यक कार्रवाई का समर्थन करता है.’ सभी जातियों, पंथों और धर्मों के महान व्यक्तियों का सम्मान करने के महत्व पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर कोई किसी महान व्यक्ति या संन्यासी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करता है, तो ऐसे लोग दंड के भागी होंगे और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. हालांकि , विरोध का मतलब बर्बरता या लूटपाट करना नहीं है…ऐसी कार्रवाइयां पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं.’
हमारा हिंदू धर्म स्पष्ट कहता है कि 'अहिंसा परमो धर्म:'
लेकिन, राष्ट्र रक्षा के लिए, धर्म रक्षा के लिए, निर्दोष लोगों को बचाने के लिए हिंसा करनी पड़े तो 'धर्मसम्मत' मान्य है और यह आह्वान भारत का 'शास्त्र' करता है… pic.twitter.com/YzcU3G1VFT
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 7, 2024
मुख्यमंत्री योगी की यह टिप्पणी गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद की विवादित टिप्पणी के बाद समुदाय विशेष द्वारा किए गए उग्र विरोध प्रदर्शनों के बीच आई है. योगी आदित्यनाथ ने शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा और अनुष्ठान के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने पश्चिम बंगाल का जिक्र करते हुए कहा, ‘बंगाल वह भूमि है जिसने हमें राष्ट्रगान, राष्ट्रीय गीत दिए और भारत की बौद्धिक नींव रखी. स्वतंत्रता के संघर्ष में बंगाल की कई महान हस्तियों का योगदान रहा है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘बंगाल ने भारत माता को जगदीश चंद्र बोस, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी प्रणवानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे सपूत दिए हैं. लेकिन, आज बंगाल में क्या हो रहा है? वहां के लोगों को त्योहार मनाने से पहले दो बार सोचना पड़ता है. जबकि उत्तर प्रदेश में त्योहारों को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, बाधा उत्पन्न करने के किसी भी प्रयास पर तुरंत कार्रवाई की जाती है. लेकिन जिस बंगाल से जगतजननी मां भगवती के अनुष्ठान का शुभारंभ होता है, उस बंगाल में आज सनातन धर्म असहाय व असुरक्षित दिखता है.’
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