लखनऊ (Lucknow) । उत्तर प्रदेश कांग्रेस (Uttar Pradesh Congress) के अध्यक्ष अजय राय (Ajay Rai) शुक्रवार को लखनऊ स्थित मुख्यालय पहुंचे तो उनका भव्य स्वागत हुआ। केंद्र में सरकार नहीं बनाने की स्थिति के बाद भी यहां जमकर पटाखे फोड़े गए। यह पटाखे मुख्य रूप से यूपी में भाजपा (BJP) को हराने और वाराणसी (Varanasi) में पीएम मोदी (PM Modi) का मार्जिन कम करने में मिली सफलता पर फूटे हैं। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष अजय राय लोकसभा चुनाव की तरह पीएम मोदी पर हमलावर रहे। उन्होंने कहा कि उनकी (मोदी) जीत का अंतर काफी कम हो गया है और यह उनके लिए नैतिक क्षति है। अजय राय ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ अपनी पार्टी के गठबंधन को स्वाभाविक गठबंधन करार दिया।
उन्होंने कहा कि सपा-कांग्रेस में यह गठबंधन उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनावों में भी जारी रहेगा ताकि राज्य में भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंका जा सके। राय ने कहा कि वह राहुल गांधी से संसद में रायबरेली लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने का अनुरोध करेंगे।
लोकसभा चुनाव में गांधी को उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट के साथ-साथ केरल की उनकी मौजूदा सीट वायनाड से भी जीत मिली है। राय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ हमारा गठबंधन स्वाभाविक है और यह उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनावों में भी जारी रहेगा।
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि वह शनिवार को दिल्ली जाएंगे और राहुल जी से संसद में रायबरेली सीट का प्रतिनिधित्व करने का पुरजोर अनुरोध करेंगे। मोदी ने इस बार वाराणसी से 1,52,513 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है। जबकि 2019 के चुनाव में उन्हें 4,79,505 वोटों के अंतर से जीत मिली थी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी में समाजवादी पार्टी (सपा) की शालिनी यादव दूसरे स्थान पर रही थीं, जबकि राय ने तब तीसरा स्थान हासिल किया था। शालिनी यादव बाद में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि वाराणसी में मोदी के विकास कार्यों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि जमीन पर बहुत कम काम दिख रहा है। राय ने अपनी पार्टी के साथ-साथ सपा और आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं को वाराणसी में जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुंचने और विपक्ष के लिए सीट पर अच्छा परिणाम लाने के लिए धन्यवाद दिया।
राय ने अपनी राजनीतिक यात्रा भाजपा से शुरू की, लेकिन बाद में कांग्रेस में चले गए। वह 1996 से पांच बार विधायक रहे। 2009 में टिकट न मिलने पर उन्होंने भाजपा छोड़ दी और सपा में चले गये। इसके बाद सपा ने उन्हें 2009 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया और भाजपा के मुरली मनोहर जोशी के मुकाबले वह तीसरे स्थान पर रहे जबकि दूसरा स्थान दिवंगत बाहुबली मुख्तार अंसारी को मिला था। इसके बाद 2014, 2019 के संसदीय चुनाव और हाल के चुनावों में राय कांग्रेस से चुनाव लड़े।
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