अदब तालीम का जौहर है ज़ेवर है जवानी का
वही शागिर्द हैं जो खि़दमत-ए-उस्ताद करते हैं।
पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर साब का जब भी जि़कर होता है तो एक उस्ताद और दानिश्वर सहाफी (पत्रकार) की तसवीर ज़हन में उभरती है। माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान के इस उम्रदराज़ खलीफा ने इस इदारे में एक नए पिरोगराम की इब्तिदा करी है। संग्रहालय में ‘उत्कर्षÓ उनवान से एक पाठशाला शुरु हुई है। इस पाठशाला में हर मौज़ू के जानकार उस्ताद अपने अपने सब्जेक्ट की खूबियां और जि़न्दगी के तजरबे पेश करेंगे। इनकी क्लास में न सिर्फ सहाफत के तालिबे इल्म (छात्र) शामिल होंगे बल्कि रिसर्च करने वाले या किसी कंपटीटिव इम्तहान की तैयारी करने वालों को भी भोत सटीक टिप्स दिए जाएंगे। ये क्लास आम कालेजों वगैरह की एक लीक पे चलने वाली रोबोटिक टाइप की क्लास नही होगी। यहां आने वाले उम्रदराज़ उस्ताद सब्जेक्ट के साथ ही अपनी जि़ंदगी के नशेबोफराज़ और उस ओहदे पे पहुंचने की दास्तान बयां करेंगे। उनका तबदलाये खय़ाल किसी क्लास के मास्टर की तरह न होकर किस्सागोई के अंदाज़ जैसा दिलचस्प होगा।
इस पाठशाला में पर्यावरण, अदब, आर्ट एंड कल्चर, एडमिनिस्ट्रेशन, साइंस, फिलासफी, समाजशास्त्र सहित ज़मीनी लेवल पे काम करने वाले नामवर लोग रहबरी करेंगे। इनमे साबिक़ आईएएस या आईपीएस अफसर, साइंटिस्ट, कलाकार या प्रोफेसर किसी सिलेबस जैसी पढ़ाई नहीं कराएंगे…इसके बरक्स ये उस्ताद जि़न्दगी के धरातल से वाबस्ता जानकारियां शेयर करेंगे। उत्कर्ष पाठशाला में कोई भी इंसान शामिल हो सकता है। 14 जनवरी को हुई पहली पाठशाला में साबिक़ चुनाव आयुक्त ओपी रावत, माखनलाल के वीसी केजी सुरेश और संजय कुमार ने शिरकत करी। श्रीधरजी ने बताया कि फिलहाल उत्कर्ष पाठशाला हर महीने के दूसरे शनिचर को सुबह 11 से एक बजे के बीच रहेगी। अप्रैल से महीने के दूसरे और चौथे शनिचर को हुआ करेगी। इसमे भोपाल की प्रायवेट और सरकारी यूनिवर्सिटी के बच्चे और दूसरे इदारों के लोग उस्तादों के हुनर से फ़ैज़ उठाएंगे।
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