ले दे के अपने पास फ़क़त इक नजऱ तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नजऱ से हम।
सूबे के बुजुर्ग सहाफी (पत्रकार) ओमप्रकाश मेहता माशा अल्लाह 81 बरस के हैं। बाकी न थके हैं और न रुके हैं। सहाफत और लफ्ज़़ों का इनका सफर मुसलसल 61 बरस से जारी है। मेहताजी उन लोगों के लिए इबरत हैं जो उम्र को अपने किरदार पे इस क़दर हावी कर लेते हैं कि चाहते हुए भी एक्टिव नही रह पाते। सफेद झक बाल, लंबी चौड़ी क़द-कामत पे चमकदार सफारी सूट पहने ये उस्ताद सहाफी आज भी मुख्तलिफ मौज़ू पे अखबारों में लिख रहा है। मेहताजी संदर्भों और ज्ञान की खान कहे जा सकते हैं। इनसे कुछ सीखने और समझने की ललक लिए सहाफत के तालिबे इल्म (पत्रकारिता के छात्र) इनकी संगत करते रहते हैं। ओम मेहता की सहाफत उज्जैन से सन 1962 में गुप्ता बंधुओ के अखबार प्रजादूत से हूई थी। बाद में गोवर्धन लाल मेहता के अखबार दैनिक अवंतिका से जुड़ गए थे। सत्तर की दहाई में नईदुनिया के उज्जैन ब्यूरो में आप अवन्तिलाल जैन साब के साथ काम करने लगे। बकौल मेहताजी जब तक हूं मेरी शब्द यात्रा जारी रहेगी। ऐसे मौतबर सहाफी को स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाज़ रहा है। आपको मालूम ही होयेगा के इंदौर के रविन्द्र नाट्य ग्रह और प्रीतम लाल दुआ सभागृह में 14 से 16 अप्रैल तलक पत्रकारिता महोत्सव हो रहा है। इसमे पूरे मुल्क से नामवर सहाफी इंदौर आते हैं।
स्टेट प्रेस क्लब के कप्तान प्रवीण खारीवाल के मुताबिक ओमप्रकाश मेहता साब को उनकी 61 बरस की सहाफत के लिए ये अवार्ड कल 14 अप्रैल को दिया जाएगा। रविन्द्र नाट्य ग्रह में उत्तम स्वामी, भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय, इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव, जानेमाने सहाफी ओम थानवी, जयशंकर गुप्त और रमेश शर्मा, ओमप्रकाश मेहता साब को ये नायाब अवार्ड देंगे। ओमप्रकाश मेहता साब ने सहाफत का ट्रेडिल मशीन, हैंड कंपोजि़ंग, सिलेंडर मशीन से लेके ओफ़्सेट मशीन और अब पूरी तरह कंप्यूटराइज़ेड सिस्टम को देखा है। खास बात ये है कि इस उम्र में भी इन्होंने खुदको लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से अपडेट रखा। इनकी ख़बरों और लेखनशैली से नईदुनिया के एडिटर मरहूम राजेन्द्र माथुर साब इत्ते मुतास्सिर हुए थे कि अस्सी की दहाई में उन्होंने इन्हें उज्जैन नईदुनिया से इंदौर बुला लिया था। लंबे अरसे तक ये नईदुनिया में रहे और रज्जू बाबू के अलावा, राहुल बारपुते, अभय छजलानी, रणवीर सक्सेना,बसंतीलाल सेठिया सहित तमाम बड़े सहाफियों के साथ काम करा। 1985 से ये जो भोपाल आये तो फिर यहीं बस गए। यहां भी आपने नवभारत, दैनिक नईदुनिया, दैनिक भास्कर और हिंदुस्तान में अपनी सियासी ख़बरों से धूम मचा दी। ऐसे काबिल सहाफी को मिल रहे लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए सूरमा की ढेरों मुबारकबाद।
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