न्यूयॉर्क । पाकिस्तान(Pakistan) के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Prime Minister Shehbaz Sharif)शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly)को संबोधित (addressed)कर रहे थे। उनके भाषण के चंद मिनट बीते थे कि उन्होंने फिर से कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने देश की चिंता किए बगैर फिलिस्तीन से कश्मीर की तुलना कर दी। आतंकवादियों को आश्रय देने वाले देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थायी तौर पर शांति सुनिश्चित करने के लिए भारत को अनुच्छेद 370 को वापस लाना चाहिए और जम्मू-कश्मीर मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत में शामिल होना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि भारत कश्मीर में एकतरफा और मनमानी कदम उठा रहा है।
शहबाज शरीफ ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, ”फिलिस्तीन के लोगों की तरह जम्मू और कश्मीर के लोगों ने भी अपनी आजादी और आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए एक सदी तक संघर्ष किया है। शांति की दिशा में आगे बढ़ने के बजाय, भारत जम्मू और कश्मीर पर सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने की प्रतिबद्धताओं से पीछे हट गया है। ये प्रस्ताव जम्मू और कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करने में सक्षम बनाने के लिए जनमत संग्रह का आदेश देते हैं।”
शहबाज शरीफ के भाषण की बड़ी बातें:
5 अगस्त 2019 से भारत ने जम्मू और कश्मीर के लिए अपने नेताओं द्वारा अशुभ रूप से कहे जाने वाले अंतिम समाधान को लागू करने के लिए एकतरफा अवैध कदम उठाए हैं। नौ लाख भारतीय सैनिकों के द्वारा कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर के लोगों को कठोर उपायों से आतंकित कर रहे हैं। वहां लंबे समय तक कर्फ्यू, हत्याएं और हजारों युवा कश्मीरियों का अपहरण हुआ है।
भारत कश्मीरियों की जमीनों और संपत्तियों को जब्त कर रहा है और बाहरी लोगों को कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में बसा रहा है, ताकि मुस्लिम बहुल क्षेत्र को बदल दिया जा सके। कश्मीरी लोग उस झूठी भारतीय पहचान को अस्वीकार करने में दृढ़ हैं जिसे नई दिल्ली उन पर थोपना चाहती है।
कश्मीर में भारत की क्रूर जबरदस्ती और दमन की नीति ने यह सुनिश्चित किया है कि बुरहान वानी की विरासत लाखों कश्मीरियों के संघर्ष और बलिदान को प्रेरित करती रहेगी। उनकी हृदय विदारक कहानियां हमें याद दिलाती हैं कि प्रत्येक आंकड़े के पीछे एक मानव जीवन, एक स्वप्न और एक टूटी हुई आशा छिपी है।
पाकिस्तान को सताने लगा है हमले का डर
इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि भारत अपनी सैन्य क्षमताओं के व्यापक विस्तार में लगा हुआ है, जिसका उपयोग अनिवार्य रूप से पाकिस्तान के विरुद्ध किया जा रहा है। इसके युद्ध सिद्धांतों में एक आश्चर्यजनक हमले और परमाणु खतरे के तहत एक सीमित युद्ध की परिकल्पना की गई है।
भारत ने बिना सोचे-समझे पाकिस्तान के प्रस्तावों को ठुकरा दिया है। भारत के नेतृत्व ने अक्सर नियंत्रण रेखा पार करने और आजाद कश्मीर पर कब्जा करने की धमकी दी है। मैं स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि पाकिस्तान किसी भी भारतीय आक्रमण का सबसे निर्णायक जवाब देगा।
भारत को 5 अगस्त 2019 से उठाए गए एकतरफा और अवैध उपायों को वापस लेना चाहिए और बातचीत शुरू करनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुरूप जम्मू-कश्मीर विवाद का शांतिपूर्ण समाधान करना चाहिए।
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