इंदौर। सहकारिता विभाग ने उषा नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था में हुए भूखंड घोटालों के चलते संचालक मंडल को 6 साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है। संचालक मंडल पर आरोप है कि उसने ना तो भूखंड घोटाले के आरोपियों पर कोई कार्रवाई की और ना ही जो फर्जी रजिस्ट्रियां हुईं उन्हें निरस्त करवाया गया।
महू नाका स्थित मराठा और धनगर समाज के लोगों की पुरानी और बड़ी कॉलोनी उषा नगर की संस्था के संचालक मंडल को भंग कर दिया है। इन दोषी संचालकों को उज्जवला बारगल, सरयू वाघमारे, चंद्रसेन सोनोने, रविन्द्र सोमवंशी, शंकर जाधव, अशोक आमणापुरकर, बालचंद्र होलकर, विनोद गावड़े, रविन्द्र लाभान्ते, पुरुषोत्तम वाघमारे और सुनंदा भांड शामिल है, जिन्हें 6 साल के लिए अयोग्य घोषित किया गया है।
इधर शिकायतकर्ताओं का कहना है कि इनमें से कई पदाधिकारी शहर की अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओं पर भी काबिज हैं। लिहाजा अब सहकारिता विभाग के आदेश के बाद उन संस्थाओं को भी इन दागी चेहरों को हटाना चाहिए। संस्था के सदस्य किशोर धाईवुड़े ने बीते 5 सालों में तमाम सबूत जुटाकर सहकारिता विभाग में संस्था में हुए फर्जीवाड़े की शिकायत की और 2023 में भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। मगर किसी भी सुनवाई पर संचालकगण उपस्थित नहीं हुए। एक ही परिवार के सदस्यों को भूखंड देने और अन्य अपात्रों के नाम पर भी रजिस्ट्रियां करवा दीं और उन्हें भी निरस्त कराने के आदेश का पालन नहीं किया गया।
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