मुंबई। मशहूर गायिका उषा मंगेशकर आज अपना 87वां जन्मदिन मना रही हैं। उषा का जन्म मशहूर संगीतकार एवं गायक दीनानाथ मंगेशकर के घर में चौथी पुत्री के रूप में हुआ। बचपन से ही संगीत इन्हें विरासत में मिला है। उषा जहां लता मंगेशकर, आशा भोसले, मीना खड़ीकर से छोटी हैं, वहीं भाई हृदयनाथ मंगेशकर से बड़ी हैं। उषा ने गायिकी के क्षेत्र में अलग पहचान बनाई है। हिंदी के अलावा उन्होंने मराठी, बंगाली, भोजपुरी, नेपाली, कन्नड़ और आसामी आदि क्षेत्रीय भाषाओं के गानों को भी अपने सुरीले कंठ से सजाया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उषा मंगेशकर का जन्म 15 दिसंबर 1935 को मध्य प्रदेश में हुआ। बेहद कम उम्र में ही उषा के सिर से पिता का साया उठ गया। जिस वक्त दीनानाथ मंगेशकर का निधन हुआ तब उषा की उम्र महज 6 वर्ष थी। पिता की असमय मृत्यु के बाद उषा और उनके भाई-बहनों ने अनेक समस्याओं का सामना किया। लता मंगेशकर ने सिसिंग की दुनिया में कदम रखा। फिर धीरे-धीरे आशा भोसले, मीना और उषा ने भी गाना गाने शुरू किए।
उषा मंगेशकर ने वर्ष 1954 में आई फिल्म ‘सुबह का तारा’ के ‘बड़ी धूमधाम से मेरी भाभी आई’ गाने से बॉलीवुड इंडस्ट्री में डेब्यू किया था। यह एक रोमांटिक ड्रामा सॉन्ग था। इसके बाद उन्होंने अपने सिंगिंग करियर में हिंदी, मराठी, बंगाली, भोजपुरी, नेपाली, कन्नड़ और आसामी समेत तमाम क्षेत्रीय भाषाओं के गाने गाए। मगर, फिल्म ‘जय संतोषी मां’ ने इनकी किस्मत पलट दी। 1975 में आई फिल्म ‘जय संतोषी मां’ के ‘मैं तो आरती’ गाने ने उषा मंगेशकर को घर-घर में पहचान दिलाई। इसके लिए इन्हें कई सम्मान मिले। इस फिल्म के गानों के लिए उषा मंगेशकर को फिल्मफेयर बेस्ट प्लेबैक सिंगर फीमेल का नॉमीनेशन भी मिला।
उषा मंगेशकर को लोक संगीत से बहुत लगाव रहा है। उन्होंने 60 साल से अधिक उम्र तक सिंगिंग की। उन्होंने 1992 में दूरदर्शन के लिए म्यूजिकल ड्रामा ‘फूलवतीं’ को प्रोड्यूस किया था, जिसकी कहानी बाबा साहेब पुरंदरे पर आधारित थी। सिंगिंग से अलग उषा मंगेशकर को पेंटिंग का बेहद शौक है। एक बार एक बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था कि अगर वह गायिका न होतीं तो पेंटिंग करतीं। उषा मंगेशकर ने कई बार मुंबई में अपनी पेंटिंग प्रदर्शनी भी लगाई है।
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